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कृषि कानून पर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

पिछले एक साल से दिल्ली सीमा पर डटे रहे किसानों की मांगों पर आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मान गए हैं। केंद्र सरकार अब पिछले साल पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करेगी। इसकी घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को अच्छे इरादे से पेश किया था, लेकिन हम उन्हें किसानों को समझा नहीं सके। उधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अमीरों की भाजपा भूमि अधिग्रहण और काले कानूनों के जरिए गरीबों और किसानों को धोखा देना चाहती है। उसके बाद एक तरफ किसान जश्न मना रहे हैं तो दूसरी तरफ यूपी में सियासत गरमा रही है।

विपक्ष का केंद्र पर हमला

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कृषि कानून वापस लेने के बाद कहा कि किसानों की कुर्बानी आखिरकार रंग लाई है। उन्होंने कहा कि जीत उन किसानों की है जिन्होंने सर्दी और गर्मी में बारिश का विरोध किया। मायावती ने कहा कि अगर केंद्र ने विवादास्पद कानून को रद्द करने की घोषणा बहुत देर से की होती तो फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था। अगर केंद्र सरकार यह फैसला बहुत पहले ले लेती तो देश कई तरह के झगड़ों और झगड़ों से बच जाता। हालाँकि, किसानों को उनकी उपज का मूल मूल्य देने के लिए राष्ट्रीय कानून की उनकी विशिष्ट माँग अधूरी है। बसपा ने मांग की कि केंद्र संसद के आगामी सत्र (MSP) में इस संबंध में एक कानून लाए।

उधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अमीरों की भाजपा भूमि अधिग्रहण और काले कानूनों के जरिए गरीबों और किसानों को धोखा देना चाहती है। उन्होंने नाखून, बाल खींचे, कार्टून बनाए, जीप पर चढ़े, लेकिन पूर्वांचल के सपा के विजयी दौरे के लिए जनता के समर्थन के डर से काले कानूनों को वापस ले लिया। सैकड़ों किसानों की मौत के लिए बीजेपी कब जिम्मेदार होगी?

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