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कोविड से जंग जीतने वालों की आंखों की रोशनी छीन रहा ये ब्लैक फंगस

कोविड संक्रमण को मात देने वालों के लिए अब एक नया दुश्मन पैदा हो गया है। काला फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) स्वस्थ हो चुके कोविड संक्रमितों की आंखों की रोशनी छीन रहा है। यही नहीं ब्लैक फंगस आंखों के साथ त्चचा, नाक, दांतों को भी नुकसान पहुंचाता हैं। नाक के जरिए फेफड़ों और मस्तिष्क में पहुंचकर ब्लैक फंगस लोगों की जान भी ले रहा है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. राजे नेगी ने बताया कि कोविड संक्रमण के पहले नौ दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के चलते मरीज काले फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि आंखों के साथ यह फंगस त्वचा, नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क के लिए बेहद खतरनाक होता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में कोविड मरीज को स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाएं दी जाती है।

उत्तराखंड : जानलेवा साबित हो रहा कोरोना के बाद ब्लैक फंगस, देहरादून में कई गंवा चुके जिंदगी

लंबे समय तक इन दवाओं के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आने की संभावना बढ़ जाती है। डा. राजे नेगी ने बताया कि अगर संक्रमण नाक के रास्ते फेफड़ों और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है तो भी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। उन्होंने बताया फिलहाल महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, मध्यप्रदेश और दिल्ली में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। ब्लैक फंगस के चलते कई लोगों की मौत हुई है।

कैसे चलता है संक्रमण का पता
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. राजे सिंह ने बताया कि काले फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) की जांच के लिए मरीज की छाती और सिर का सीटी स्कैन किया जाता है। जैसा संक्रमण का नाम है वैसे ही सीटी स्कैन में छाती या सिर में कालापन नजर आता है। अधिकांश डायबटीज, किडनी, हाई शुगर लेवल के मरीजों के संक्रमण की जद में आने की संभावना अधिक रहती है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी चली जाती है। कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते संक्रमण पर नियंत्रण न पाया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।

संक्रमण के लक्षण
आंखें और नाक लालिमा, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव।

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कैसे रहें संक्रमण से सुरक्षित
– ब्लड शुगर लेवल जांचने के साथ कंट्रोल में रखें,।
– जरूरत पड़ने पर स्टेरॉयडस ध्यान से लें।
– ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान स्वच्छ पानी का प्रयोग करें।
– एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से प्रयोग करें।
– जब भी बाहर जाएं, मास्क जरूर पहनें।
– गार्डन में काम करते समय जूते दस्ताने जरूर पहनें।
– संदिग्ध लक्षण होने दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें ।

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