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The Ultimate Story: लखनऊ की लाडली स्नेहा और सारा वंचितों के जीवन में शहद से घोल रहीं मिठास

एसआरएमएस कॉलेज के चेयरमैन देवमूर्ति की पोतियों ने नन्हीं सी उम्र में कर दिखाया बड़ा काम

बरेलीः शहद का उपयोग स्वाभाविक रूप से किसी भी चीज को मीठा करने के लिए किया जाता है। एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति जी की नातिन लखनऊ स्थित कुनस्काप्सकोलन स्कूल में कक्षा 8 की छात्रा स्नेहा गुप्ता और कक्षा 6 की विद्यार्थी सारा गुप्ता ने इसका इस्तेमाल वंचितों की मदद के लिए किया। दोनों ने जरूरतमंदों के जीवन को मीठा करने के लिए शहद का उपयोग कर रही हैं।

स्नेहा और सारा ने कहा कि उन्होंने लखनऊ और उन्नाव स्थित एसआरएमएस ट्रस्ट के परिसरों में बहुत सारे अप्रयुक्त शहद के छत्तों को देखा। इसके बारे में जानकारी ली तो पता चला कि इनसे निकाला गया शहद सौ फीसद शुद्ध होता है। जबकि बाजार में मिलने वाला ज्यादातर शहद सिर्फ चीनी की चाशनी से बना हुआ होता है।

ऐसे में इस शहद को बेचकर जरूरतमंद लोगों की मदद का विचार आया। परिजनों ने इसमें मदद की। परिवार की मदद से हमने सबसे पहले पारंपरिक तरीके से मलमल के कपड़े से शहद को डिस्टिल्ड किया और उसे खास डिजाइन की सुंदर कांच की बोतलों में पैक किया।

हमारे इस शहद के लिए कविताएं लिखीं और सोशल मीडिया के जरिए शहद की खूबियों का प्रसार किया। लोगों ने हमारी मुहिम को सराहा और शहद खरीद कर जरूरतमंद लोगों के लिए रुपये जुटाने में हमारी मदद मिली। पिछले तीन वर्षों में हमने शहद बेच कर दो लाख रुपये एकत्रित किए।

माता-पिता और नाना ने भी शहद खरीद कर हमें प्रोत्साहित किया। हम दोनों ने यह राशि उन्नाव स्थित एक धर्मार्थ स्कूल को दान की, जहां 400 से अधिक वंचित विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती है। इसके साथ ही हमने जरूरतमंद कुछ रोगियों के चिकित्सा खर्चों को पूरा करने में भी मदद की। उनमें से 23 वर्षीय एक युवा लड़की भी थी, जो घातक इंटेस्टाइनल टीबी और आंत में ब्लॉकेज से पीड़ित थी।

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