Chhattisgarh

जजों पर विवादित टिप्पणी करने वाले वकील प्रशांत भूषण अवमानना के दोषी करार, 20 अगस्त को तय होगी सजा

सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण दो ट्वीट के आधार पर अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिए गए हैं। भूषण के खिलाफ यह मामला उनके 2 विवादित ट्वीट से जुड़ा है। इस मामले पर आज तीन जजों की बेंच जिसमें न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस मामले में अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया। अब सजा पर सुनवाई 20 अगस्त को होगी।

 

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मौजूदा CJI पर टिप्पणी

प्रशांत भूषण ने  28 जून को चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की तस्वीर पर टिप्पणी की थी,जिसमें वो महंगी बाइक पर बैठे नज़र आ रहे थे। भूषण ने कहा था कि CJI ने सुप्रीम कोर्ट को आम लोगों के लिए बंद कर दिया है और खुद बीजेपी नेता की 50 लाख रुपए की बाइक चला रहे हैं।

 

4 पूर्व CJI पर भी किया ट्वीट

27 जून को भूषण ने 4 पूर्व CJI पर भी किया ट्वीट किया था। इस ट्वीट में भूषण ने यह लिखा था कि पिछले कुछ सालों में देश में लोकतंत्र को तबाह कर दिया गया है, सुप्रीम कोर्ट के पिछले 4 चीफ जस्टिस की भी इसमें भूमिका रही है।“ जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए माना था कि पहली नजर में भूषण के दोनों ट्वीट अवमाननापूर्ण लगते हैं,यह ट्वीट लोगों की निगाह में न्यायपालिका खासतौर पर चीफ जस्टिस के पद की गरिमा को गिराने वाले हैं।

 

वकील माहेक माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले एक वकील माहेक माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस ट्वीट की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के बंद होने का दावा झूठा है। चीफ जस्टिस पर किसी पार्टी के नेता से बाइक लेने का आरोप भी गलत है। प्रशांत भूषण ने जानबूझकर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया और लोगों की नज़र में न्यायपालिका की छवि खराब करने की कोशिश की।इसके लिए उन्हें कोर्ट की अवमानना का दंड मिलना चाहिए।

 

दुष्यंत दवे ने दी थी दलील

कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब देने कहा था। उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी कि जजों की आलोचना को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं माना जा सकता। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन होगा।दवे ने यह माना था कि मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर की गई टिप्पणी तथ्यों के बारे में पूरी जानकारी लिए बिना की गई थी,लेकिन उनका कहना था कि यह आम आदमी के प्रति भूषण की चिंता को दिखाता है. इसका मकसद सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं था। दुष्यंत दवे ने कोर्ट में से यह भी कहा था कि न्यायिक क्षेत्र में प्रशांत भूषण के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए।

 

सुप्रीम कोर्ट ने खुद लिया संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मुकदमा शुरू करने से पहले याचिकाकर्ता को एटॉर्नी जनरल से सहमति लेनी होती है। माहेक माहेश्वरी ने ऐसा नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस पर कहा था, “हमने याचिका में बताए गए तथ्यों को देखने के बाद खुद ही इस मसले पर संज्ञान लेने का फैसला लिया है, ऐसे में अब एटॉर्नी जनरल की मंजूरी नहीं है। हम अवमानना की कार्रवाई शुरू कर रहे हैं।”

 

कोर्ट ने कहा इतने वरिष्ठ वकील से ऐसे ट्वीट की उम्मीद नहीं थी

आज दिए आदेश में कोर्ट ने लिखा है कि “30 साल से वकालत कर रहे शख्स से ऐसे ट्वीट्स की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने जनहित से जुड़े मुद्दे कोर्ट में रखे हैं। लेकिन इन ट्वीटस को न्यायपालिका की स्वस्थ आलोचना नहीं समझा जा सकता। ये ट्वीट आम लोगों की नज़र में एक संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस के सम्मान को गिराने वाले है, न्यायापालिका पर उनके विश्वास को चोट पहुंचाने वाले है।”

 

20 अगस्त को होगी सज़ा पर बहस

कोर्ट ने भूषण को दोषी मानते हुए सज़ा पर बहस के लिए 20 अगस्त की तारीख रखी है। कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 के प्रावधानों के तहत अवमानना के मामले में अधिकतम 6 महीने की सजा हो सकती है। इस मामले में कोर्ट प्रशांत भूषण को जेल भेजने जैसी कड़ी सजा देगा या उन्हें कोई सांकेतिक सजा देगा या अगर वह बिना शर्त माफी मांगते हैं, तो उन्हें माफ कर देगा; यह सब कुछ 20 अगस्त को तय होगा।

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