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SUCCESS STORY: मिलिये बरेली के विक्की भरतौल से, जिन्होंंने राजनीति को चुना है अपना कॅरियर

बिथरी के विधायक रह चुके पप्पू भरतौल के बेटे हैं विक्की भरतौल, सोशल मीडिया पर रहते हैं खूब सक्रिय

आठवीं कक्षा में दोस्तों ने स्कूली बैग पर लिख दिया था ‘विधायक विक्की भरतौल’

Challenges को फेस करके आगे बढ़ना ही जिंदगी- विक्की भरतौल

पहली की सिविल सर्विसेस तैयारी, फिर राजनीति के माध्यम से शुरू की जनसेवा

लखनऊ: झुमका-सुरमा-पतंग मांझा और गंगा जमुनी तहजीब का शहर बरेली नए दौर में तमाम नई इबारतें भी गड़ रहा है। नाथ नगरी के युवा लगभग सभी क्षेत्रों में सफलता के नए-नए मानक स्थापित कर रहे हैं। ऐसे ही कामयाब युवाओं की सफलता के सफर को आम लोगों तक साझा करने के लिए आज बात करेंगे बिथरी-चैनपुर के पूर्व विधायक पप्पू भरतौल के पुत्र और युवा नेता एवं समाजसेवी विक्की भरतौल की। विक्की भरतौल का मानना है कि जब तक जिंदगी में Challenges फेस नहीं किया जाएगा तबतक जिंदगी आगे नहीं बढ़ेगी।

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सवाल: कुछ अपने बारे में बताइए, कैसे राजनीति के क्षेत्र में उतरे?

विक्की भरतौल का जवाब: स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद दिल्ली में सिविल सर्विसेस की तैयारी की। सरकारी नौकरी करने का मन बनाया। राजनीति में सक्रीय रहने वाले पिताजी को जब मैंने देखा तो उन्ही के जैसा बनने का मन बनाया। हालांकि, उनके जैसा कोई नहीं है और न कभी मैं उनके जैसा बन पाऊंगा लेकिन उन्हीं के बताये हुए रास्ते पर चलने की कोशिश जरूर की। 2017 में पिताजी का टिकट फ़ाइनल हुआ और जनता के समर्थन से वे बिथरी-चैनपुर के विधायक चुने गए। उसके बाद से मैं निरंतर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा हूं। हमारे परिवार का एक ही सिद्धांत है कि जो कोई भी दरवाज़े पर आए वो बिना मदद के वापस न लौटे। पिताजी ने इस परंपरा की शुरुआत की है और जबतक मैं हूं, इसे आगे ही बढाता रहूंगा।

सवाल: निवर्तमान विधायक और अपने पिताजी से राजनीति को कितना जाना?

जवाब: अभी तो इंटर्नशिप का दौर है। मैं अपने पिताजी से निरंतर सीख ही रहा हूं। मेरा यह मानना है कि सीखने के लिए टाइम निर्धारित नहीं किया जाता है। जबतक सीखना चाहो, तबतक सीखते रहो। युवा जबतक सीखेगा नहीं तबतक वो परफेक्ट नहीं हो सकता है। सीखने का दौर कभी ख़त्म नहीं होता है। दूसरी बात यह है कि सीख लेने की दिशा भी सही होनी चाहिए तभी सीख का कोई मतलब होता है। युवाओं को आगे बढ़ने से कोई भी ताकत रोक नहीं सकती है। बस इच्छा शक्ति प्रबल होने चाहिए। स्वामी विवेकानंद भी एक युवा थे और हम सभी युवाओं को उन्ही से सीख लेनी चाहिए।

सवाल: पिताजी को देखकर राजनीति में आए, या फिर सिविल सर्विसेस की तैयारी कम रह गई?

जवाब: जब मैं आठवीं कक्षा में था तो मेरे दोस्तों ने स्कूल बैग पर लिख दिया था ‘विधायक विक्की भरतौल’। उसी बैग को लेकर मैं स्कूल जाया करता था। लीडरशिप क्वालिटी बचपन से ही मेरे अंदर थी। समाजसेवा करने सबसे सटीक माध्यम राजनीति ही है और जबसे मैंने होश संभाला है इसी को जाना है। यही पैटर्न मैंने फॉलो किया है।

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सवाल: क्या परिवारवाद सिर्फ राजनीति में हावी है या फिर अन्य क्षेत्रों में भी?

जवाब: परिवारवाद को लेकर मेरा मानना दूसरों से थोड़ा अलग है। जब आपके अंदर क्वालिटी होगी तभी आप कुछ कर सकोगे। मेरे अंदर राजनीति में कार्य करने की क्षमता थी तभी मेरे पिताजी ने मुझे सप्पोर्ट किया। अगर उन्हें मुझमें काबिलियत न नज़र आती तो वो मुझे दूसरी तरफ गाइड करते। यह कहना गलत ही कि परिवारवाद हावी है। जबतक खुद उस क्षेत्र में आगे बढ़ने की काबिलियत नहीं होगी, कोई भी आपको आगे नहीं बढ़ा सकता है।

सवाल: कौन है आपका प्रेरणास्रोत?

जवाब: सबसे पहले मुझे इंस्पायर करने वाले मेरे पिताजी हैं। दूसरे स्थान पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। राजनीतिक क्षेत्र में यह दोनों ही मेरे प्रेरणास्रोत हैं। दोनों ही अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं और दोनों के लिए ही जिम्मेदारियां बोझ नहीं हैं। यही मुझे भी सीखना है।

सवाल: परिवार को कितना समय दे पाते हैं?

जवाब: चाहे पांच ही मिनट सही, पूरा परिवार इक्कठा बैठता है और एक दूसरे से बातचीत करता है। लेकिन हम सिर्फ खुद तक ही सीमित नहीं रहते हैं।
जनता भी हमारे परिवार का हिस्सा है। दिन भर में एक बार हम जनता के साथ भी बैठक करते हैं। उनका सुख-दुःख सुनते हैं। जो भी मदद हो सकती है वो करने की कोशिश भी करते हैं।

सवाल: खाली समय में क्या करना पसंद करते हैं?

जवाब: समय का सदुपयोग जरूरी है। मैं कोशिश करता हूं की फ्री न रहूं। अपने खाली समय में किताबें पढता हूं। स्वामी विवेकानंद की किताबों को समय देता हूं। उनके द्वारा दी गई सीख को जीवन में इस्तेमाल करने की कोशिश करता हूं। पीएम मोदी के भाषणों को सुनता हूं। दीन दयाल उपाध्याय को पढ़ता हूं।

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सवाल: क्या विधायक या सांसद बनने की ख्वाहिश है?

जवाब: नहीं, मेरा ऐसा कोई सपना नहीं है। बस मैं इतना ही चाहता हूं की जनता के बीच में रहूं। जनता की परेशानी मेरे परेशानी है। मेरे घरवालों ने सिखाया है कि जनता की परेशानियों को हल करना सबसे बड़ा पुन्य होता है। युवा वो होता है जिसे दूसरों को तकलीफ में देख कर दर्द हो। युवाओं में ही यह जोश होता है कि दूसरों की समस्याओं का समाधान करे। इसलिए भारत को युवाओं का देश कहा जाता है।

जनता विधायकजी के साथ-साथ विक्की को भी पसंद करती है: सुनीता मिश्रा

वहीं, निवर्तमान विधायक पप्पू भरतौल की पत्नी और विक्की भरतौल की मां सुनीता मिश्रा का कहना है कि जनता दोनों को ही पसंद करती है। इन दोनों की यही सोच रहती है कि कैसे जनता की समस्याओं का समाधान किया जाये। दोनों ही दिन-रात बस इसी में जुटे रहते हैं कि क्षेत्र की जनता को कोई समस्या न हो।

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