स्टार्ट-अप : सेहत ख़राब होने पर इको फ्रेंडली मोमबत्ती का आया प्लान, 12 लाख रु. टर्नओवर के साथ 250 महिलाओं को दी नौकरी
जलती हुई मोमबत्ती से एक टॉक्सिक नेचर का पैराफिन वैक्स निकलता है। जो हमारी सेहत को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करता है। यह वैक्स अस्थमा, सिर दर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसी कई बीमारियां पैदा करता है।
जयपुर : वो कहावत तो आप सब ने सुनी ही होगी कि भगवन भी उसकी मदद करता है जो पहले खुद की मदद करता है। जी हाँ दोस्तों जयपुर में रहने वाली तनुश्री जैन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। ज्यादातर कार्यक्रमों में मोमबत्ती की डिमांड होती है। मगर क्या आपको पता है कि मोमबत्ती हमारे सेहत के लिए कितना नुकसानदायक होती है। दरअसल, जलती हुई मोमबत्ती से एक टॉक्सिक नेचर का पैराफिन वैक्स निकलता है।
जो हमारी सेहत को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करता है। यह वैक्स अस्थमा, सिर दर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसी कई बीमारियां पैदा करता है। डॉक्टरों का मानना है कि यह ट्यूमर और कैंसर का भी एक बड़ा कारण बनता है। ऐसे में तनुश्री जैन ने एक ऐसा तरीका निकाला, जिससे हमें कैंडल भी मिल जाए और इन परेशानियों से छुटकारा भी।
जयपुर में रहने वाली तनुश्री जैन ने एक इको फ्रेंडली कैंडल को तैयार किया है। उन्होंने यह कारनामा लोकल कारीगरों के साथ मिलकर तैयार किया है और अब भारत के साथ-साथ बाहरी देशों में भी उनके इस प्रोडक्ट की अच्छी खासी मांग है म। पिछले साल उनकी कंपनी का टोटल टर्नओवर करीब 12 लाख रुपए के आसपास हुआ था।
छोटी उम्र से ही ग्राउंड लेवल पर काम करने में थी रूचि
आपको बता दें कि तनु सिर्फ 25 साल की थी, जब उन्होंने सोशल सेक्टर में रुचि लेना शुरू किया था। वह आपने पढ़ाई के दौरान ही लोकल कारकों के साथ जुड़ गए थे। तनुश्री एक मिडिल मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता आर्मी में रहे हैं जबकि मां टीचर रही है। साल 2017 में तनुश्री ने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करने के बाद कई अच्छे कंपनियों से मिले जॉब के ऑफर को भी रिजेक्ट कर दिया था।
उनका मानना था कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई भले ही की हो, मगर उनकी दिलचस्पी हमेशा ग्राउंड लेवल पर स्थानीय लोग साथ काम करने में रही है। उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही स्थानीय कार्यक्रमों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया था।
मार्केटिंग में रखा कदम
स्थानीय कलाकारों और कारीगरों के साथ काम करते हुए तनुश्री को उनकी परेशानियों के बारे में पता चला। उन्होंने देखा कि वे कारीगर प्रोडक्ट बढ़िया बना रहे थें, मगर उसकी मार्केटिंग सही तरीके से नहीं कर पाते थे। जिसके बाद तनुश्री ने अपनी टेक्निकल स्किल का इस्तेमाल करते हुए लोकल कारीगरों और स्थानीय कलाकारों के लिए मार्केटिंग करना शुरू किया। तनुश्री जैन का मानना था कि इस दौरान उनकी मार्केटिंग पर अच्छी खासी पकड़ हो गई थी।
सेहत बिगड़ने से आया समझ
वर्ष 2017 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद तनुश्री ने दिल्ली में मौजूद इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट मास्टर पूरा किया। इस दौरान उन्हें 1 साल दिल्ली में गुजारना पड़ा। वहां की आबोहवा खराब होने की वजह से तनुश्री की सेहत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी।
शुरुआती दौर में उन्होंने उस पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया, मगर बाद में इस पर रिसर्च करना शुरू किया। कुछ दिन बाद उन्हें रिलाइज हुआ कि उनके खराब स्वास्थ्य के पीछे केमिकल वाले कैंडल जलाना भी एक बड़ी वजह है। जिसके बाद उन्होंने खुद कैंडल बनाने की प्रोसेस को समझना शुरू किया।
मीडिया से वार्ता में तनुश्री ने बताया कि लगातार स्टडी और रिसर्च के बाद उन्हें पता चला कि ज्यादातर लोग कैंडल बनाने में केमिकल का इस्तेमाल करते हैं। जिससे पोलुशन के साथ-साथ हमारी सेहत पर भी खासा असर पड़ता है। हम बंद कमरे में ऐसे कैंडल जलाते हैं तो उसका सीधा असर हमारे हेल्थ पर पड़ता है।
वहीं, अगर हम कैंडल बनाने में नेचुरल वैक्स और एरोमेटिक हर्ब से बने ऑयल का इस्तेमाल किया जाए, तो सेहत को नुकसान नहीं होगा। इसके बाद 2018 के अंत में उन्होंने लोकल कलाकारों से बात की। करोना से पहले अपने इस प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए तनुश्री ने अलग-अलग जगह पर स्टाल भी लगाया।
1.5 लाख रुपए की लागत से शुरू किया स्टार्टअप
हालाँकि जबसे कोरोना महामारी की शुरुवात हुई है तबसे वे ऑनलाइन मार्केटिंग पर ज्यादा फोकस कर रही हैं। उन्होंने अपने साथ अन्य 10 महिलाओं काम करने के लिए राजी कर लिया। इसके बाद उन्होंने इन महिलाओं को मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग दी। फिर उन्होंने कैंडल बनाने के लिए रॉ मटेरियल्स इकट्ठा किए और घर से ही काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने स्टार्टअप का नाम Nushaura रखा। शुरुआत में सेटअप जमाने और काम शुरू करने में तनुश्री के करीब 1.5 लाख रुपए खर्च हुए।
तनुश्री ने मीडिया से वार्ता में दावा किया कि उनके प्रोडक्ट की क्वालिटी मार्केट में मिलने वाले मोमबत्ती से बिलकुल अलग है। यही वजह है कि शुरुआत में ही उन्हें लोगों से अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा। धीरे-धीरे हुन्होने कस्टमर्स बढ़ाएं और फिर साथ काम करने वाली महिलाएं भी। फिलहाल उनके पास 60 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक के 20 से ज्यादा वैराइटी के कैंडल्स हैं। जिनकी प्राइस 99 रुपए से लेकर 1999 रुपए तक है।
तनुश्री के साथ फिलहाल राजस्थान और मध्य प्रदेश से 250 महिलाएं जुड़ी हैं। ये अपने-अपने घरों में काम करती हैं और प्रोडक्ट तैयार हो जाने के बाद तनुश्री को हैंडओवर कर देती हैं। प्रोडक्ट बिकने के बाद जितनी कमाई होती है, वह सभी कारीगरों में बराबर-बराबर बांट दी जाती है। कैंडल बनाने की प्रोसेस को लेकर तनुश्री बताती हैं कि मोटे तौर पर इसके लिए तीन चीजों- नेचुरल वैक्स, इसेंशियल ऑयल और कॉटन की बत्ती की जरूरत होती है।
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