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क्या है सेवा भोज योजना ? क्या है योजना की विशेषताएं?

भारत देश में अच्छे इंसानों की कोई कमी नहीं है। खास तौर पर धार्मिक जगहों पर दो अच्छे कर्मों का तांता लगा हुआ होता है। धार्मिक जगहों पर हर कोई किसी ना किसी तरीके से दान करने को इच्छुक रहता है। उदाहरण के तौर पर मंदिरों में भोज का कार्य होता है वहीं कई गुरुद्वारों में लंगर का काम होता है। यहां पर मुख्य तौर से किसी भी इंसान को भूखा नहीं जाने दिया जाता है।

Seva bhoj Scheme

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यही वजह है कि इन जगहों को बहुत ही पवित्र और भगवान का घर माना जाता है। ऐसे अच्छे काम करते रहने के लिए इनके पास मात्र लोगों या भक्तों की ओर से दी गई दान दक्षिणा ही होती है। यह पूछा है कि भारत की सरकार ने एक ऐसी योजना बनाई है जिससे कि इसमें भी मदद मिल सके। भारत सरकार ने लंगर और भोज का आयोजन करने वाले ऐसे ही लोगों के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है जिसका नाम सेवा भोज योजना (Seva Bhoj Yojana) है। आज हम आपको इसी योजना के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

क्या है सेवा भोज योजना?

किसी की सेवा करने के लिए आपको पैसे या फिर किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं होती है। अगर सेवा करने के लिए आवश्यकता होती है तो वो है मात्र मनोभाव की। यदि इंसान अपने मन में ठान लेता है तो वह भी पूरी मानव जाति के लिए अच्छे कार्य करने में जुड़ जाता है। भारत देश में भी गुरुद्वारों ,मंदिरों मस्जिदों ,आदि जगहों पर लोगों को उनकी भूख मिटाने के लिए भोजन प्रदान करते हैं। यह सब लंगर हो या फिर भोज के माध्यम से किया जाता है।

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गुरुद्वारों की यह बहुत ही खास बात है कि यहां पर लंगर रोजाना ही आयोजित किया जाता है । इन्हीं की मदद करने के लिए भारत की सरकार ने एक नई योजना की शुरुआत की है जिसका नाम सेवा भोज योजना (Seva Bhoj Yojana) है। इस योजना की घोषणा 1 जून 2018 को की गई थी। इसके बाद इस योजना की शुरुआत 1 अगस्त 2018 को ही कर दी गई। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा चैरिटेबल रिलिजियस इंस्टीट्यूशंस को फायदा पहुंचाने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के लिए भारत की सरकार 325 करोड रुपए का बजट तय कर चुकी है । वित्तीय वर्ष 2018–19 और 2019–20 के लिए इस योजना हेतु इतना बजट आवंटित किया गया था।

इस योजना के तहत परोपकारी धार्मिक संस्थाओं द्वारा अनिर्मित खाद्य वस्तुओं पर लगने वाले केंद्रीय वस्तु और सेवाकर यानी कि टैक्स(सीजीएसटी) व एकीकृत वस्तु और सेवाकर (आईजीएसटी) वापस कर दिया जायेगा ताकि श्रद्धालुओं को बिना किसी भेदभाव के भोजन, प्रसाद, लंगर,भंडारा,आदि चलाने वाले परोपकारी धार्मिक संस्थानों का वित्तीय बोझ कम किया जा सके।

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दरअसल देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी कि जीएसटी लगने के बाद कई और चीजों पर भी टैक्स लिया जाने लगा। रिलीजियस इंस्टीटूशन्स यानी कि धार्मिक संस्थान जैसे कि मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, चर्च और इत्यादि जगहों पर श्रद्धालु को दिए जाने वाले खाने, को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों पर भी ये टैक्स लगने लगा था।
सामग्रियों पर टैक्स लगने के कारण चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स के ऊपर काफी आर्थिक बोझ पड़ने लगा था। इस आर्थिक बोझ को कम करने के मकसद से सरकार ने इस स्कीम को चलाया है और अब सरकार चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स के उन सामग्रियों पर लगने वाले गुड एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के पैसों को रिफंड कर देगी, जिनका इस्तेमाल लंगर के खाने को बनाने में किया जाता है।

क्या है योजना की विशेषताएं?

इस योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है:

–सेवा भोज योजना (Seva Bhoj Yojana) श्रद्धालुओं को निःशुल्क भोजन प्रदान करने हेतु धार्मिक संस्थानों द्वारा अनिर्मित खाद्य वस्तुओं की खरीद पर प्रदत्त केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर यानी सीजीएसटी और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर यानी आईजीएसटी के केंद्र सरकार के हिस्से की प्रतिपूर्ति के लिए है।

–सेवा भोज योजना के तहत जो संस्थान इसके पात्र होंगे उनके लिए ही यह योजना लागू होगी।

– सेवा भोज योजना के तहत गुरुद्वारा, मंदिर, धार्मिक आश्रम, मस्जिद, दरगाह, चर्च, मठ, विहार आदि द्वारा दिए जाने वाले निःशुल्क लंगर,भंडारा , आदि को समर्थन दिया जाएगा।

–इसमें वित्तीय सहायता ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर दी जाएगी।

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कौन है योजना के पात्र?

इस योजना के तहत वित्तीय सहायता या अनुदान के लिए आवेदन करने से पहले कम से कम 5 वर्षों तक मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, गिरिजाघर, धार्मिक संसथान, मठ जैसे धार्मिक परोपकारी संस्थानो को कार्यरत होना होगा । इसकी के साथ एक महीने में कम से कम 5000 लोगों को निःशुल्क भोजन करने आयकर की धारा 10 (23 बीबीए) के तहत आने वाले संस्थान या सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 की XXI ) के अंतर्गत सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संसथान अथवा किसी भी अधिनियम के तहत वैधानिक पंजीकृत धार्मिक संस्था के बनने के समय लागू कानून के तहत जन न्यास के तौर पर या आयकर अधिनियम की धरा एए के तहत पंजीकृत संस्थान इस योजना के तहत अनुदान के पात्र होंगे।

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कैसे करे आवेदन?

इस योजना में आवेदन करने के लिए पात्रता के बारे में आप पहले ही जान चुके हैं। सेवा भोज योजना के तहत पात्र धार्मिक संस्थानों का एक बार ही नामांकन होगा।

अब अगर आपकी संस्थान इसमें आवेदन करना चाहती है तो उसको निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी:

–सर्वप्रथम धार्मिक संस्थानों को नीति आयोग के दर्पण पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा।
http://csms.nic.in/login/sevabhoj.php
यह लिंक इसका पोर्टल खोल देगा।

–इसके बाद सभी पात्र संस्‍थानों का दर्पण पोर्टल में पंजीकरण आवश्‍यक है।

–मंत्रालय को प्राप्‍त हुए सभी आवेदनों की जांच चार सप्‍ताह के भीतर की जाएगी। इन आवेदनों की जांच करने के लिए केंद्र सरकार एक नई समिति बनाएगी जोकि इस उद्देश्‍य के लिए गठित समिति होगी।

–समिति की सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी ऊपर बताई गई विशेष सामग्रियों पर सीजीएसटी और आईजीएसटी का केन्‍द्र सरकार का हिस्‍सा वापस लौटाने के लिए परोपकारी धार्मिक संस्‍थानों का आवेदन स्वीकार करने के बाद उनका पंजीकरण करेगा।

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कैसे मिलेगा रिफंड?

जब आपका पंजीकरण हो जाएगा तो विशेष समिति द्वारा आपको विशेष सामग्रियों पर सीजीएसटी और आईजीएसटी टैक्स वापस लौटाया जाएगा।
मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर के अनुसार इसके लिए भी एक अलग प्रक्रिया है। जब भी चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स लंगर के खाने को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों को खरीदेंगे, तो उन्हें उन चीजों पर लगने वाले जीएसटी को देना होगा। सामग्री खरीदने के बाद उनको हमेशा की तरह रसीद मिलेगी।
सामग्रियों को खरीदने के बाद चैरिटेबल रिलीजियस इंस्टीटूशन्स को जो रसीद मिलेगी उनको वो रसीद सरकार को देनी होगी। इसी रसीद के हिसाब से इन इंस्टीटूशन्स ने जितना जीएसटी, खाने की सामग्री को खरीदने के दौरान भरा होगा वो उनको वापस कर दिया जाएगा।

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