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संजीव बालियान ने किसानों द्वारा हो रहे विरोध को बताया राजनीतिक, कहा- भाजपा की किस्मत जनता के हाथ में है

प्रेस वार्ता में आगे बढ़ते हुए बालियान ने कहा कि हमारे देश के किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विपक्षी दल उनका अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए बिलकुल न इस्तेमाल करें।

नई दिल्ली : मंगलवार यानी आज केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने किसानों द्वारा हो रहे कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध को राजनितिक करार दिया है। संजीव बालियान ने किसानों के विरोध पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक हो रहा है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में किसान भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे, लेकिन वे हरियाणा में विरोध नहीं करेंगे क्योंकि वहां कोई चुनाव नहीं होना है।

कल हुई रैली के लिए हो या भविष्य में अन्य, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) जैसी पार्टियां इसके लिए संसाधन उपलब्ध करा रही हैं।

प्रेस वार्ता में आगे बढ़ते हुए बालियान ने कहा कि हमारे देश के किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विपक्षी दल उनका अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए बिलकुल न इस्तेमाल करें। किसानों और सरकार के बीच बातचीत पर बालियान ने कहा, हम चाहते हैं कि किसानों और सरकार के बीच बातचीत हो और किसानों के वास्तविक मुद्दों पर चर्चा हो।

किसान खाली हाथ घर न लौटें। कानूनों को निरस्त करने के बारे में अड़े रहने के बजाय, उन्हें अपनी इच्छानुसार कानूनों में संशोधन करने का प्रयास करना चाहिए।’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा की किस्मत जनता के हाथ में है। लोग अंततः समझ जाएंगे कि जब वे विरोध में अन्य दलों के झंडे देखेंगे तो क्या हो रहा है।’

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं। केंद्र द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ रविवार को मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। इसमें घोषणा की कि वे आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे। महापंचायत में विभिन्न राजनीतिक दलों की भागीदारी देखी गई।

पिछले साल 26 नवंबर से किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध कर रहे हैं। इनमें किसान उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम, 2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 2020 पर किसान अधिकारिता और संरक्षण) समझौता हैं। किसान नेताओं और केंद्र ने कई दौर की बातचीत की है लेकिन गतिरोध बना हुआ है।

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