Rajasthan: जोधपुर में दलित समाज के लोगों ने परिवार समेत अपनाया बौद्ध धर्म
Rajasthan: समता सैनिक दल के तत्वावधान में आयोजित एक कार्यक्रम में जोधपुर में 50 से ज्यादा दलित समुदाय से जुड़े लोगों ने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया। जोधपुर के मसूरिया स्थित मेघवाल छात्रावास में धम्म देशना के साथ भंते कश्यप आनंद की मौजूदगी में जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जयपुर, जालोर, नागौर सहित कई जिलों के दलितों ने हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म को अपनाया।
प्रो. डॉ प्रबुद्घ आनंद, अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल बौद्ध तथा मुख्य वक्ता रघुनाथ बौद्ध राष्ट्रीय महासचिव के सानिध्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
दल की राष्ट्रीय महासचिव कमला बुगालिया के नेतृत्व में जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जयपुर, जालोर, नागौर सहित कई शहरों के दलितों ने हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के साथ रीति-रिवाजों को त्याग कर भंते आनंद कश्यप ने 53 अनुयायियों को हिंदू धर्म परिवर्तन करवाकर बौद्ध धर्म की दीक्षा दिलाई।
भंते कश्यप ने कहा कि वर्तमान समय में युद्ध की नहीं, बुद्ध की जरूरत है। दीनता और हीनता की जगह, जग की समृद्धता आनी चाहिए, लेकिन इसके लिए पंचशील अष्टांग मार्ग के पुन: विस्तार और सत्य, अहिंसा व विश्वबंधुता का प्रचार-प्रसार किया जाना भी जरूरी है। उन्होंने बौद्ध रीति-रिवाज के साथ अनुयायियों को धर्म दीक्षा ग्रहण कराई।
उन्होंने धम्मदेशना में बताया कि धर्म सदाचार को कहते है। धर्म से आदमी का कल्याण तभी होगा जब वो पंचशील हिंसा नहीं करे, चोरी नहीं करे, झूठ नही बोले, नशीला पदार्थ का सेवन न करें। भंते सिद्धार्थ ज्ञानवर्धन ने कहा कि मानव विकास के लिए बुद्ध ने तीन शरण बताए हैं। इनमें ज्ञान, सदाचार संघ मौजूद है। भगवान बुद्ध का मार्ग उत्तम है।
समता सैनिक दल के राष्ट्रीय महासचिव रघुनाथ बौद्ध ने कहा कि बाबा साहब ने सदियों से जातिगत भावना से ग्रस्त दलितों को सामाजिक कुरीतियों तथा अत्याचारों की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए बौद्ध धर्म ग्रहण किया था। परंतु आज भी समाज में जातिगत भावना से अत्याचार जारी है।
पूरे प्रदेश में दलित समाज पर जातिगत भावना से अत्याचार हो रहे हैं। बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। प्रत्येक दिन दुश्कर्म , डकैती, हत्या के वजह से जो केवल जातिगत भावनाओं से हो रहे हैं।
इस दौरान शील सागर फुलेरा, भेरुलाल नामा बाङमेर, कानाराम बौद्ध सिरोही, अमित धणदे बाङमेर, बाबुलाल सोगन जयपुर, भंवरलाल बुगालिया, जिलाध्यक्ष बौद्ध महासभा टीकमचंद लोहिया, ओमप्रकाश गांधी, जिलाध्यक्ष रामनिवास बैरवा, महासचिव नथमल खीची, हरिश बरवङ, लक्ष्मणदास बाघराणा, जगदीश जायल, उम्मेदलाल कङेला, छात्रावास अध्यक्ष हिरालाल जयपाल, बाबुलाल मोसलपुरिया, लक्ष्मणसिंह सिंघाड़िया, नरपतराज जोरम, ताराराम गौतम, ई. लुभाष राठौड़, गोपीकिशन रावल, अरूणा बारुपाल, भीखाराम गोधा, हरिशंकर बारूपाल मौजूद थे।
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