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पीएम मोदी ने किया कृषि बिल वापस लेने का ऐलान, जानिए किन कारण से हो रहा था विरोध?

दिल्ली। आज पीएम मोदी ने प्रातः 9 बजे अपने राष्ट्र के नाम संबोधन किया है। इस सम्बोधन के दौरान पीएम मोदी कृषि बिल को वापस लिए जाने की घोषणा की है। आपको बता दे कि इन तीनो कृषि बिल का विरोध देश के कई राज्यों में बीते एक वर्ष से हो  रहा है।

इस खबर में आपको पता चलेगा आखिर क्यों इस बिल का किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा था और इन बिल में क्या है?

1. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज आलू को  जरूरी सामान की लिस्ट को हटाने का प्रावधान किया गया था। यह माना जा रहा था कि इस कानून के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा, क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। बता दें कि साल 1955 के इस कानून में संशोधन किया गया था। इस कानून का मुख्य उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी रोकने के लिए उनके उत्पादन, सप्लाई और कीमतों को नियंत्रित रखना था।

2. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, 2020

दूसरे बिल में किसान एपीएमसी यानी कृषि उत्पाद विपणन समिति के बाहर भी अपनी फसल को बेच सकते थे। इस कानून के तहत बताया गया था कि देश में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया जाएगा, जहां किसानों और व्यापारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने का आजादी होगी। प्रावधान के तहत राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।

3. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020

अंतिम और तीसरा बिल में किसानों को उनकी फसल की निश्चित कीमत दिलवाना था। इसके तहत कोई किसान फसल उगाने से पहले ही किसी व्यापारी से समझौता कर सकता था। इस समझौते में फसल की कीमत, फसल की गुणवत्ता, मात्रा और खाद आदि का इस्तेमाल आदि बातें शामिल होनी थीं। कानून के मुताबिक, किसान को फसल की डिलिवरी के समय ही दो तिहाई राशि का भुगतान किया जाता और बाकी पैसा 30 दिन में देना होता।

इस वजह से शुरू हुआ था बिल का प्रदर्शन

किसान संगठनों का आरोप था कि नए कानून के लागू होते ही सरकार द्वारा लाये गए इस बिल का विरोध किसानों का विरोध इस लिए शुरू हुआ क्योंकि किसानों ने आरोप लगाया कि कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा, इससे सभी किसानों को हानि होगी। इस बिल के अनुसार , केंद्र द्वारा आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर अति-असाधारण परिस्थिति में ही नियंत्रण करती। ऐसे प्रयास अकाल, युद्ध, कीमतों में अप्रत्याशित उछाल या फिर गंभीर प्राकृतिक आपदा के दौरान किए जाते। नए कानून में उल्लेख था कि इन चीजों और कृषि उत्पाद की जमाखोरी पर कीमतों के आधार पर एक्शन लिया जाएगा। सरकार इसके लिए तब आदेश जारी करेगी, जब सब्जियों और फलों की कीमतें 100 फीसदी से ज्यादा हो जातीं। या फिर खराब न होने वाले खाद्यान्नों की कीमत में 50 फीसदी तक इजाफा होता। किसानों का कहना था कि इस कानून में यह साफ नहीं किया गया था कि मंडी के बाहर किसानों को न्यूनतम मूल्य मिलेगा या नहीं।

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