Madhya Pradesh

Olympic Games: पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाला कप्तान, अपने ही घर में अनजान

Madhya Pradesh: 23 जुलाई से शुरू हो रहे जापान की राजधानी टोक्यो में ओलिंपिक खेलों (Olympic Games) की चर्चा हर काफी तेज है। खेल और खिलाड़ियों के नाम चर्चा का विषय बना हैं। हर खिलाड़ी चाहता है कि मुकाबले में अव्वल आएं और स्वर्ण पदक पर कब्जा हो।

देश का चमकीला वर्तमान अपने सुनहरे इतिहास को याद करे तो सामने आएगा ओलिंपिक खेलों (Olympic Games) में भारत को पहला स्वर्ण दिलाने वाला एक कप्तान, किशन लाल, जो अपने ही घर में आज अनजान हैं। आज की पीढ़ी महान किशन लाल को नहीं जानती।

अपने ही राज्य मध्य प्रदेश या अपने ही शहर इंदौर के किसी चौराहे पर न उनकी प्रतिमा है, न कोई मार्ग उनके नाम पर बना है, न किसी मैदान को उनका नाम दिया गया है। इतना ही नहीं उनके नाम से कोई टूर्नामेंट भी नहीं होता।

इंदौर के समीप डॉ. आंबेडकर नगर (महू) से निकलकर किशन लाल ने भारतीय टीम को विजय बनाने का सफर तय किया। देश को वर्ष 1947 में आजादी मिली थी।

इसके अगले ही साल (1948 में) अंग्रेजों की मेजबानी में लंदन में ओलिंपिक हुए। यहां हॉकी स्पर्धा के फाइनल में अंग्रेजों को हराकर भारतीय टीम ने अपने ओलिंपिक इतिहास का पहला गोल्ड मेडल जीता था। इस टीम के कप्तान किशन लाल ही थे।

इंदौर में आज भी उनका घर है, जो जर्जर हो चुका है। छोटे पुत्र राजन पिता की विरासत को जैसे-तैसे संभाले हुए हैं। वे निजी स्कूल में शिक्षक हैं। राजन को बस इतना संतोष है कि भले महू या इंदौर में पिता के नाम पर कहीं कोई स्मारक नहीं है, लेकिन पिताजी ने रोम ओलिंपिक से पहले जर्मनी की टीम को मार्गदर्शन दिया था और वहां सम्मान के रूप में उनके नाम पर एक सड़क जरूर है।

अंग्रेजों से उनके घर में लिया ‘बदला’
किशन लाल की कप्तानी में साल 1948 में भारतीय टीम लंदन ओलिंपिक में हिस्सा लेने पहुंची। पाकिस्तान अलग हो जाने से कई दिग्गज खिलाड़ी भारतीय टीम में नहीं थे।

किशन लाल के पास ज्यादात्तर नए और गैर अनुभवी खिलाड़ी थे, मगर टीम ऑस्ट्रिया, अर्जेंटीना, स्पेन और नीदरलैंड को हराते हुए फाइनल में पहुंची।

राजन बताते हैं कि पिताजी किशन लाल बताया करते थे कि तब अंग्रेज प्रशंसक भारतीय खिलाड़ियों पर लगातार नस्लीय टिप्पणियां कर रहे थे। पहला हाफ गोलरहित रहा। बारिश भी हुई, इसके बाद दूसरे हाफ में उन्होंने जूते उतार दिए और अपने हमलों से अंग्रेजों को परेशान किया।

भारत ने फाइनल 4-0 से जीता और अंग्रेजों के घर (ब्रिटेन) में जाकर तिरंगा लहराया। टीम की इस सफलता पर अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘स्वर्ण’ भी बनी थी।

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