निर्जला एकादशी क्यों रखते हैं, इससे क्या लाभ होता है ? जाननें के लिए पूरी स्टोरी पढ़े.
निर्जला एकादशी की अपनी मान्यता हैं. इस बार निर्जला एकादशी 2 जून को मनाई जा रही है.
पुराणों में लिखा है, कि इस व्रत को करने से मृत्यु के समय यमदूत नहीं लेने आते बल्कि खुद भगवान के पार्षद उस पुष्पक विमान पर स्वर्ग ले जाते हैं.
चलिए जानते हैं कि इस व्रत की महिमा क्या है –
निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है.
एक बार व्यास जी ने कुंती और पांडु पुत्रों से एकादशी व्रत करने की बात कही तभी इतने में भीम बोल पड़े की मैं दान कर सकता हूं, पूजा कर सकता हूं लेकिन बिना भोजन के नहीं रह सकता. इतने में फिर व्यास जी कहने लगे कि अगर तुम स्वर्ग नरक का भेद जानते हो तो हर मास आने वाली एकादशी को व्रत रखने से स्वर्ग की प्राप्ति होगी. हस्ते हुए भीम बोले कि मैंने पहले ही बोला था कि मैं भोजन के बिना एक पहर क्या कुछ घंटे भी नहीं रह सकता और आप हर मास की दो एकादशी रखने की बात कर रहे हैं. एक उपाय यह है, कि ऐसा कोई व्रत बताओ जो साल में एक बार रख सकूं. व्यास जी बोले कि बिना धन और परिश्रम से करी गई मेहनत ही स्वर्ग का द्वार खोलती है. भीम बोले ऐसा व्रत बताओ की मात्र एक व्रत करने से मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो.
तभी व्यास जी बोले कि वृषभ और मकर की संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में एकादशी आती है. जो निर्जला एकादशी होती है उसमें जल भी वर्जित है. इस व्रत में एक दिन पहले सूर्यौदय से लेकर अगले दिन के सूर्यौदय तक बिना जल ग्रहण करे रखा जाएगा. स्वयं भगवान ने कहा है, कि इन दिन निर्जल व्रत करने से सारे तीर्थ स्थल का पुण्य मिल जाएगा. आज के दिन आप अपने पापों को धो सकते हैं. इसलिए श्रद्धा भक्ति के साथ इस व्रत को करना चाहिए. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का पाठ आपके व्रत को सफल बनाने में मदद करेगा.
भीम के इस व्रत को करने को भीमसेन एकादशी और भीमसैनी एकादशी भी कहा जाता है.
व्यास जी ने कहा, कि इस दिन एकादशी को जो भी व्रत रखें वो दान और दूसरों की मदद से कभी पीछे न हटे इस व्रत को अगर घोर पापी भी रखता है तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी.