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आखिर कैसे मैरीकॉम बनी, देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा

मैरी कॉम ( Mary Kom ) का जन्म 24 नवंबर 1982 कंगठेई , मणिपुर में हुआ था । इनका पूरा नाम मांगेट चुंगनेजांग मैरी कॉम ( Mary Kom ) है ।मैरी कॉम एक भारतीय शौकिया मुक्केबाज , राजनीतिज्ञ और राज्य सभा सांसद की सदस्य भी हैं । इनके शानदार मुक्केबाजी को देख कर इनको “शानदार मैरी” का नाम भी दिया गया है ।

Mary Kom

प्रारंभिक जीवन

मैरी कॉम Mary Kom ने अपनी प्राथमिक शिक्षा लोकतक क्रिस्टियान मॉडल हाई स्कूल से कक्षा 6 तक और सेंट जेवियर स्कूल से कक्षा 8 तक पूरी की । इसके बाद वह नौवीं और दसवीं की पढ़ाई करने के लिए स्कूल बदल दिया लेकिन वो परीक्षा में पास नही हो पाई और स्कूल छोड़ दिया । इसके बाद उन्होंने एन. आई. ओ. एस. इंफाल एंड ग्रेजुएशन चुराचंदपुर कॉलेज से परीक्षा देकर पास हो गईं ।

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भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते मैरी अपने माता पिता की मदद खेतों में , लकड़ी काटने में और मछली पकड़ने में भी करती थी । और अपने भाई बहन का भी बखूबी ख्याल रखती थीं ।
मैरी की खेल कूद में शुरुआत से ही रुचि रही है । वो अपने दोनो स्कूलों में भी खेल कूद में भाग लेती रहती थी ।
उन्होंने खेल को अपने घर परिवार की आर्थिक तौर पर मदद करने के लिए भी चुना था ।
मैरी को मुक्केबाजी के लिए प्रेररित करने वाली महिला डिंगो सिंह थी । 2000 में मैरी ने बस दो हफ्तों में मुक्केबाजी के सभी तकनीक सीख लिए थे ।
18 साल की उम्र में मैरी ने पहली बार विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपनी शुरुआत कर दी थी । अपनी डेब्यू खेल में ही उन्होंने सिल्वर मेडल जीत लिया था । और उसके अगले साल एसोसिएशन दे बॉक्स वाइल्ड वूमेंस सीनियर बॉक्सिंग कैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था जो की अंटाल्या , तुर्की में हुआ था ।

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मैरी कॉम ( Mary Kom ) ने फुटबॉलर करूंग ओंखोलर से शादी की है ।और उनके तीन बेटे भी हैं , 2007 में उन्हें जुड़ा बच्चे हुए थे और 2013 में एक बेटा हुआ । यही नहीं 2018 में उन दोनो ने एक मर्लिन नाम की लड़की को भी गोद लिया है ।

उपलब्धियां

मैरी कॉम ने शौकिया मुक्केबाजी में बिना किसी पेशेवर मुक्केबाजी में प्रतिस्पर्धा के इतना बड़ा नाम हासिल किया है । वह पद्म भूषण जीतने वाली पहली शौकिया एथलीट हैं ।
2020 में उन्हें पद्म विभूषण , 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार , 2006 में पद्म श्री और 2003 में अर्जुन पुरस्कर मिला है ।इसके आलावा उन्हें कुछ अंतराष्ट्रीय पुरस्कार और खिताब भी मिले हैं ।
अंतराष्ट्रीय मुक्केबाजी करियर के लिए उन्हें पहला ए. आई. बी. ए. महापुरुष पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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2016 में ए. आई. बी. ए. महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के लिए उन्हें एसोसिएशन का ब्रांड एम्बेसडर घोषित कर दिया ।
2007 में पीपल ऑफ द ईयर – लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ।
2008 में पेप्सी एम. टी. वी. से यूथ आइकॉन ।
इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन का वूमेंस बॉक्सिंग 2009 का एंबेसेडर बनाया ।
2010 में स्पोर्ट्स विमेन ऑफ द ईयर का सहारा स्पोर्ट्स पुरस्कार।
WOA के तरफ से ओलंपियन फॉर लाइफ का खिताब जीता ।

2012 लंदन ओलंपिक में ब्रोंज मेडल जीतने के लिए उन्हें भारत में कई पुरस्कार मिले ।
मणिपाल सरकार के तरफ से उन्हे 5 मिलियन कैश और दो‌ एकड़ जमीन मिली ।
राजस्थान सरकार के तरफ से 2.5 मिलियन कैश ।
असम सरकार के तरफ से 2 मिलियन कैश ।
अरुणाचल प्रदेश सरकार के तरफ से 1 मिलियन कैश ।
मिनिस्ट्री ऑफ़ ट्राइबल अफेयर्स के तरफ से 1 मिलियन कैश ।
नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के तरफ से 4 मिलियन कैश प्राइज मिला ।
और मणिपाल सरकार ने उन्हें मीथोलेमा का खिताब भी दिया ।

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सामाजिक कार्य

मैरी कॉम एक पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं , और सर्कस में हाथियों के उपयोग को समाप्त करने के लिए भी कार्य करती हैं ।उनका ऐसा मानना है की सर्कस जानवरों के लिए क्रूरता के स्थान है जहां उन्हें पीटा जाता है और यह बहुत ही दुखद है ।

कठिनाइयां

मैरी कॉम की पारिवारिक पृष्ठभूमि उनके कठिनाइयों के बारे में बहुत कुछ बताई हैं की वो कैसे और किन परिस्थितियों का सामना कर इस मौकाम तक पहुंची हैं ।
वह जिस क्षेत्र से आती हैं । उन्हें कठिनाइयों के साथ सुविधाओं को भी सामना करना पड़ा है ।
मैरी के घर वालों को यह नहीं पसंद था की वह मुक्केबाजी करती हैं , उन्होंने कई सालों तक अपने घर वालों से इस बात को छुपाए रखा क्योंकि उनके पिता जी ने अखबारों में उनकी तस्वीर को देख उनकी डांट भी लगाई थी । लेकिन फिर भी उन्होंने सबसे छुप के अपनी ट्रेनिंग को पूरा किया ।
यही नहीं उन्हें लिंग पूर्वाग्रह , गरीबी , अपने छोटे शरीर के वजह से भी बहुत कुछ सहना पड़ा था । लेकिन उन्होंने इन सब को नजर अंदाज करके ओलंपिक पदक जीता ।
मैरी का बेटा खुपनीवार चार वर्ष का था जब पता चला की उसके दिल में समस्या है । जिसके बाद चंडीगढ़ के ही पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में इलाज करने का फैसला किया । और यह इसलिए क्योंकि ये एन. आई. एस. , पटियाला के पास में था यह मैरी प्रशिक्षण ले रही थी । और बाद में मैरी ने एशियन चैंपियन किम म्योंग सिम का खिताब चीन के एशियाई कप महिला मुक्केबाजी टूर्नामेंट में जीता और उनका बेटा चंडीगढ़ से अपने मां के विजय होने की खुशी माया ।

प्रेरणादायक उद्धरण

  1. कठिन समय ने आपको छोड़ दिया है , और अच्छा समय आपक इंतजार कर रहा है ।
  2. आपको न केवल अपने तकनीक या ताकत पर ही बल्कि अपने दिमाग पर भी भरोसा करना सीखना चाहिए ।
  3. एक खिलाड़ी के जीवन में हमेशा किसी न किसी प्रकार का दबाव बना रहता है , इसलिए आपको उससे निपटना अच्छी तरह से सीखना चाहिए ।
  4. भारत जैसे देश में बहुत क्षमता हैं , इसलिए यहां कुछ भी असंभव नहीं ।
  5. मुझे एक उदाहरण के रूप में ले लो और हार मत मानो । अगर मैं दो बच्चों को मां होने के बाद भी पदक जीत सकती हूं , तो आप भी कर सकत हैं ।
  6. यदि आपको आराम की जरूरत है तो बेशक करिए , लेकिन अपने लक्ष्य को कभी मत छोड़िए ।
  7. आप जो बोते हैं , वही काटते हैं । इसलिए बोने से पहले सोच समझ लेना चाहिए ।
  8. किसकी महिला को यह मत बोलना की तुम कमज़ोर हो इसलिए क्योंकि तुम एक महिला हो ।
  9. कभी हार मत मानना , प्रकृति सबको एक दूसरा मौका जरूर देती है ।
  10. इनाम कभी खरीदो मत , उसे जीतो ।

मैरी कॉम ना केवल उत्तर पूर्वी लोगों के लिए बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा हैं जो रोज मुस्किलों का सामना करती हैं ।

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