धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी में हजारों मंदिर हैं, इन्हीं में से कुछ ऐसे मंदिर हैं जो विश्व प्रसिद्ध है। इन्हीं मंदिरों में से एक है रत्नेश्वर महादेव मंदिर। त्नेश्वर महादेव मंदिर की खासियत यह है कि लगभग 400 सालों से 9 डिग्री के एंगल पर झुका हुआ है। यह मंदिर गंगा नदी के तलहटी पर बना हुआ है। फिर भी 9 डिग्री के एंगल पर झुका हुआ ये मंदिर आज भी सैकड़ों सालों से वैसा ही है। गुजरात शैली में बना यह मंदिर करीब 13.14 मीटर ऊंचा है।
वाराणसी में गंगा घाट पर जहां सारे मंदिर ऊपर की ओर बने हैं, तो वहीं रत्नेश्वर मंदिर मणिकर्णिका घाट के नीचे बना है। घाट के नीचे होने के कारण यह मंदिर साल में 8 महीने गंगाजल से आधा डूबा हुआ रहता है और 4 महीने पानी के बाहर बाढ़ की स्थिति में नदी का पानी मंदिर के शिखर तक पहुंच जाता है। स्थानीय पुजारियों के मुताबिक, इस मंदिर में केवल दो-तीन महीने ही पूजा-पाठ होता है। गुजरात शैली पर बने इस मंदिर के सभी पत्थरों पर नक्काशी का नायाब नमूना पेश किया गया है।
मंदिर के झुके होने का क्या है रहस्य ?
इसके एक तरफ झुके होने को लेकर कई किवंदतियां हैं। माना जाता है कि इंदौर की महारानी अहिल्या बाई की दासी रत्ना द्वारा मंदिर बनवाया गया लेकिन अहिल्या बाई ने अपने नाम से इसका नामकरण करवाया जिसके बाद दासी ने शाप दे दिया था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, राजामान सिंह मां के नाम से महादेव का मंदिर बनवाया। जिसके वो मां को लेकर वहां गया और बोला कि तेरे दूध का कर्ज उतार दिया है। मां ने मंदिर के अंदर विराजमान महादेव को बाहर से प्रणाम किया और जाने लगी। बेटे ने कहा कि मंदिर के अंदर चलकर दर्शन कर लो। तब मां ने जवाब दिया कि बेटा पीछे मुड़कर मंदिर को देखो, वो जमीन में एक तरफ धंस गया है। कहा जाता है तब से लेकर आज तक ये मंदिर ऐसे ही एक तरफ झुका हुआ है।
पीसा के मीनार से होती है तुलना
रत्नेश्वर महादेव मंदिर की तुलना पीसा के मीनार से होती है। पीसा की मीनार अपने नींव से 4 डिग्री झुकी है। करीब 54 मीटर ऊंची पीसा की मीनार झुकने के वजह से दुनियाभर में मशहूर है। पीसा की मीनार से यह ज्यादा झुकी हुई है, बावजूद इसके यह विश्व धरोहर की सूची में शामिल नहीं है। अगर आप वाराणसी गए हैं और इस मंदिर का दर्शन नहीं किये हैं तो अगली बार इस रहस्यमयी मंदिर का दर्शन अवश्य करियेगा।