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StartUps: जानें किसके साथ मिलकर अंगद ने तैयार की एक स्वच्छ भविष्य की कल्पना…

जून 2019 में भारत में पहला उत्पाद किया था तैनात 

बीते बात राजधानी दिल्ली और लखनऊ में बढ़ते प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था। और थोड़ें ही समय में एयर प्यूरीफायर की मांग तेजी से बढ़ गयी थी। जिसके मद्देनजर कई नयी कंपनियां मार्केट में आयीं। इसमें से एक कंपनी है क्लीन-टेक स्टार्टअप कंपनी प्राण। 2017 में स्थापित कंपनी के संस्थापक 23 वर्षीय अंगद दरयानी का मानना है कि, हमारे माता-पिता की पीढ़ी एक रोमांचक भविष्य के वादे के साथ बड़ी हुई है। और अब हमारी पीढ़ी एक अंधकारमय भविष्य के वादे के साथ बड़ी हो रही है।”
क्या है क्लीन-टेक स्टार्टअप कंपनी प्राण
2017 में स्थापित प्राण कंपनी, कम लागत, फिल्टर-रहित और आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस-आधारित बाहरी एयर प्यूरिफिकेशन सिस्टम देती है। इसका प्रमुख उत्पाद साढ़े 6 फुट लंबा बेलनाकार आकार का एयर प्यूरिफायर है। जिसे आसपास की हवा को शुद्ध करने के लिए बाहर रखा जा सकता है। अधिकांश प्यूरिफायर की तरह इस डिवाइस में भी एक पंखा होता है। जो प्रदूषित हवा को खींचता है। एयरफ्लो अनुकूलित ये प्यूरीफायर में फ़िल्टर किए गए कण किसी भी प्लेट से चिपके रहने के बजाय एक कलेक्शन चैंबर में इकट्ठे हो जाते हैं। सेंसर के जरिए इसके भरने पर सूचना मिल जाती है। और 30 सेकंड की प्रक्रिया के तहत इसे घुमाकर बाहर निकालकर खाली करने के बाद इसे वापस अंदर लगा दिया जाता है।
साइड प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया था काम
अटलांटा स्थित जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अंगद ने कॉलेज के दूसरे वर्ष में इसे एक साइड प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया था। अब यह एक कंपनी है जो टीम और उत्पाद को विकसित करने की योजना बना रही है। इस बीच उन्हें कम्यूनिटी से समर्थन मिला है, जिसमें इंजीनियरों और डिजाइनरों ने प्रोजेक्ट में स्वेच्छा से योगदान दिया है। वहीं टेक्नालजी का पेटेंट कराने के साथ ही योगदान देने वालों के साथ इसका श्रेय साझा किया। उन्होंने उत्पाद बनाने के लिए अमेरिका और भारत में एक कंपनी भी रजिस्टर्ड की है। इतना ही नहीं प्राण ने बेटर कैपिटल, पैराडाइम शिफ्ट कैपिटल, अवाना कैपिटल और क्वालिटी ऑफ लाइफ इन्वेस्टमेंट्स टेक्सास की भागीदारी के साथ सोशल इंपैक्ट कैपिटल के नेतृत्व में 1.56 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी हासिल की है। बता दें कि, बायोफोरमिस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मौलिक मजमुदार समेत कई एंजेल निवेशक इस राउंड का हिस्सा थे। इसमें EnelX की सूर्या पंडिती, Innov8 के फाउंडर रितेश मलिक,  Log9 मटीरियल के संस्थापक और सीईओ अक्षय सिंघल और डीएसपी डिजाइन आर्किटेक्ट्स के निदेशक मेहुल शाह शामिल रहे हैं।
कैसे काम करता है प्राण
प्राण ने शुरू में सड़कों पर हर कुछ फीट पर 20 फीट लंबा एयर-प्यूरिफाइंग सिलेंडर का विचार किया। लेकिन बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं के आसपास आने वाली चुनौतियों को महसूस किया। जिसके बाद अंगद ने सोचा कि, इसके लिए किसी नए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं रहे। और लगभग शून्य रखरखाव की आवश्यकता हो। अंगद की मानें तो बिना किसी फिल्टर को बदले हवा से प्रदूषण हटाते हैं। इसलिए इन उपकरणों को रखने में कोई रखरखाव लागत नहीं है। हमारा मिशन सभी के लिए स्वच्छ हवा है। ऐसे में हमारे हार्डवेयर की कीमत कम होनी चाहिए।”
जून 2019 में भारत में पहला उत्पाद किया था तैनात 
प्राण ने जून 2019 में भारत में अपना पहला उत्पाद तैनात किया था। समय के साथ, यह बेहतर मैनुफेक्चुरिंग गुणवत्ता और रिसर्च के साथ इसमें सुधार होता रहा। जिससे इसकी विश्वसनीयता में सुधार हुआ है। जिसके बाद कैलिफ़ोर्निया और मुंबई स्थित स्टार्टअप ने एमके वन प्रॉडक्ट बनाने के लिए तीन मैनुफेक्चुरिंग कंपनियों के साथ साझेदारी की। बता दें कि ये मशीन वायु की गुणवत्ता में परिवर्तनों के आधार पर, अपने प्रदर्शन को अनुकूलित करती है। प्रदूषकों की अधिक सांद्रता होने पर यह अधिक हवा सोखती है। जिसके साथ पंखे की गति भी बढ़ती है। जिससे पार्टिकुलेट की चार्जिंग बढ़ जाती है। इतना ही नहीं हवा की गुणवत्ता में सुधार होने पर ये बिजली बचाने के लिए यह अपने आप बंद हो जाती है।
भविष्य की ओर इशारा 
अंगद के मुताबिक, प्राण के अधिकांश उत्पाद महाराष्ट्र और गुजरात में बनते हैं। जबकि, सेमीकंडक्टर और सेंसर चीन और ताइवान से आते हैं। हांलाकि अभी तक प्राण अपने उत्पाद के आठवें या नौवें संस्करण पर है। डिवाइस को कार्य करने के लिए अपेक्षाकृत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। तो ये सौर ऊर्जा पर आसानी से चल सकती है। अंगद की मानें तो “हमने पूरे भारत में इन साइटों पर साइट मूल्यांकन शुरू कर दिया है। और उम्मीद है कि इस तिमाही में हम और अधिक तैनाती देखेंगे।” प्राण अपने ग्राहकों को लीज पर प्रति उपकरण प्रति माह एक निश्चित राशि के लिए हार्डवेयर देते हैं। कारखाने या संपत्ति के आकार के आधार पर पूरे क्षेत्र को कवर करता है। और सड़क के मुताबिक, प्रदूषण की गतिशीलता और वायु प्रवाह को ध्यान में रखते हुए इन उपकरणों को रणनीतिक रूप से स्थानों पर रखता है। इसमें सड़क-दर-सड़क की समस्या को हल करने के लिए एक डेटा प्लेटफॉर्म भी है।
साइट और प्रदूषण की गतिशीलता का करते हैं अध्ययन
अंगद कहते हैं, “हमारे पास एक प्रोसेस है। जहां हम साइट और प्रदूषण की गतिशीलता का अध्ययन करते हैं। हम सॉफ्टवेयर में इसका विश्लेषण करते हैं। जिसके बाद अपने उपकरणों को सॉफ़्टवेयर में रखते हैं। क्योंकि हम उसके प्रभाव को समझते हैं। इसे अनुकूलित करते हैं और फिर स्थापित करते हैं।“ जहां तक भविष्य की बात है, अंगद की योजना कंपनी की 10 सदस्यीय भारतीय टीम बनाने और उसका विस्तार करने की है। स्टार्टअप बी2बी के माध्यम से अपनी कोर तकनीक को बड़े पैमाने पर ले जाना चाहता है और मैनुफेक्चुरिंग को स्थिर करना चाहता है। इसकी पायलट डायरेक्ट एयर CO2 कैप्चर डिवाइस बनाने की भी योजना है।

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