सावन : देवों के देव महादेव की आराधना में बिल्कुल भी न करें ये गलतियां
सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। कहा यह जाता है कि इस महीने में भोलेनाथ की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आखिर सावन के महीने का इतना महत्व क्यों है ? भोलेनाथ को इस महीने से इतना लगाव क्यों है। आइए जानते हैं इसके पीछे की मान्यताओं को।

कहा यह जाता है की दक्ष पुत्री माता सती ने कई सालों तक श्रापित जीवन व्यतीत किया था। उसके बाद उनका जन्म हिमालय के राजा हिमराज के घर पार्वती के नाम से हुआ था। पार्वती ने भोलेनाथ को पाने के लिए कठोरतप किया था। भोलेनाथ ने इस तप को देख उनकी मनोकामनाएं पूरी की थीं। भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी से इस महीने में दोबारा मिल सके इसीलिए उन्हें यह सावन का महीना बेहद प्रिय है
यह बात तो सच है कि भोलेनाथ अपने भक्तों से जितनी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं, वहीं यह बात भी सच है कि उन्हें उतनी जल्दी ही क्रोध भी आ जाता है। इसलिए भूल कर भी भोलेनाथ की आराधना करते समय इन गलतियों को न करें।
पूजा में क्या न करें
तुलसी न चढ़ाएं –
माना यह जाता है भगवान शिव को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। शिवपुराण के अनुसार भोलेनाथ ने जालंधर नाम के रक्षक का वध किया था। वहीं रक्षक की पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गईं थीं। जिस वजह से भोलेनाथ पर तुलसी चढ़ाना वर्जित है।
शंख है वर्जित-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ ने शंखचूड़ से परेशान हो उसका वध कर दिया था और शंखचूड़ के शरीर की भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी जिस वजह से भोलेनाथ की आराधना में शंख वर्जित माना जाता है।
नारियल का पानी वर्जित है
कहा जाता है कि शिवलिंग पर नारियल तो अर्पित किया जा सकता है लेकिन नारियल का पानी नहीं नारियल को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर नारियल का पानी चढ़ाना वर्जित होता है।
केतकी का फूल गलती से भी न चढ़ाएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केतकी ने भगवान ब्रम्हा के झूठ में उनका साथ दिया था जिससे भोलेनाथ ने क्रोधित होकर केतकी फूल को श्राप दे दिया था। तब से शिवलिंग पर केतकी के फूलों को चढ़ाना वर्जित माना जाता है।
हल्दी चढ़ना है वर्जित
कहा जाता है कि हल्दी का विशेष प्रयोग महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है इस वजह से शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना वर्जित है।