जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी सुविधाओं से वंचित प्रदेशवासी, सरकार ने नहीं पूरें किये ये वादे
लद्दाख : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के तीन साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान कश्मीरी पंडितों, टारगेटेड किलिंग, परिसीमन, पर्यटन समेत तमाम मुद्दों को लेकर जम्मू-कश्मीर लगातार चर्चा में बना हुआ है, लेकिन लद्दाख की बात नहीं हो रही है।
केडीए के सदस्य सज्जाद कारगिली ने कहा कि सरकार ने हमारी मांगों पर बातचीत करने का वादा किया था, लेकिन इसमें देरी हो रही है। इससे लद्दाख के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि लद्दाख के पास पैसे की कमी नहीं है। विकासात्मक परियोजनाएं, यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज फेंसी चीजें हो सकती हैं।
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यदि सब कुछ बाहरी लोगों द्वारा नियंत्रित किया जाता है और स्थानीय लोगों के पास कोई अधिकार नहीं होगा, ताे यह चीजें मदद नहीं करेंगी। लोगों को अधिकार दें। तभी लद्दाख का कायाकल्प होगा। लद्दाख के लोगों के लिए रोजगार की कमी बड़ी चिंता बन रही है।
बहुत से लोगों का मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उन्होंने नौकरियों, भूमि के स्वामित्व और व्यवसाय समेत सभी क्षेत्रों में सुरक्षा खो दी है। डर है कि बाहरी लोग आएंगे और नौकरियां, व्यवसाय छीन लेंगे। पिछले हफ्ते ही लद्दाख ट्रैवल ट्रेड बॉडीज ने उन 6 व्यावसायिक संपत्तियों के साथ असहयोग करने की घोषणा की, जहां बाहरी लोगों ने निवेश किया है।