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महामारी का रूप ले रहा पटना में डेंगू , एक दिन में सामने आए इतने नए मामले ..

पटना : डेंगू का कहर तेजी से पटना में फ़ैल रहा है। वायरस के तेजी से फैलने की वजह अनुकूल गर्म व अत्यधिक नम वातावरण, उस पर राजधानी में जगह-जगह चल रहा निर्माण कार्य और खाली पड़े प्लाट बताए जा रहे है। नतीजा, अजीमाबाद, बांकीपुर और कंकड़बाग अंचल में डेंगू महामारी का रूप लेता जा रहा है। अब तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार अजीमाबाद अंचल में 171, बांकीपुर में 114, कंकड़बाग में 80, पटनासिटी में 38, पाटलिपुत्र में 25 और नूतन राजधानी अंचल में 10 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं।

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एक दिन में सामने आए 44 नए मामले 

जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया कि,  ”सोमवार को 44 नए डेंगू मिले। इसके साथ ही जिले में डेंगू रोगियों की संख्या 439 हो गई है। इनमें से 427 मरीज एक अगस्त के बाद गत 49 दिन में मिले हैं। डेंगू मरीजों की सरकारी संख्या भी गत दो वर्षों के रिकार्ड तोड़ चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 2020 में 243 और 2021 में 353 डेंगू के मरीज मिले थे। ऐसे में आशंका है 2018 की तरह मरीजों की संख्या दो हजार के करीब रह सकती है।”

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बचाव के लिए इन बातों का रखे ख्याल 

बारिश का पानी जमा न होने दे 

जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया कि,  ”राजधानी के अजीमाबाद और बांकीपुर अंचल में बहुत सी जगह निर्माण कार्य चल रहा है। इससे एक ओर वहां सीवेज सिस्टम बाधित हुआ है तो दूसरी ओर निर्माण स्थल वर्षा जल जमा होने से डेंगूवाहक एडीज मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा विकसित हो रहे इन क्षेत्रों में बहुत से प्लाट खाली पड़े हैं जहां वर्षाजल जमा है।”

घर व आसपास रखें सफाई 

डा. सुभाष के अनुसार नगर निगम के सहयोग से भरसक प्रयास किया जा रहा है कि फाङ्क्षगग कर वयस्क मच्छरों की संख्या कम की जाए और लार्वीसाइड्ल का छिड़काव कर नए मच्छर विकसित नहीं होने दिए जाएं। इसके अलावा जिन जगहों पर निर्माण कार्य चल रहा है वहां स्थानीय लोग पहल करें कि सीवेज सिस्टम बाधित नहीं हो और जलजमाव नहीं होने पाए।

पानी की टंकी खुली न रखें

इसके अलावा लोगों को घर के अंदर खासकर फ्रिज व एसी से निकलने वाले पानी को हर दिन साफ करना चाहिए। पानी की टंकी खुली नहीं रहे यह सुनिश्चित करें। नारियल का पानी पिएं तो उसे कचरा गाड़ी में डालने तक उल्टा करके रखें। निर्माण स्थल पर भी औजारों को इस प्रकार रखा जाए कि उनमें वर्षाजल एकत्र नहीं हो सके। कहीं भी एक दिन से अधिक जल जमा नहीं होने दें।

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