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इलाहबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, मंत्री ने धमकी न दी होती तो नहीं होता लखीमपुर खीरी कांड

अदालत ने आशीष मिश्रा की 18 अप्रैल को जमानत रद्द कर दी

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी(lakhimpur khiri) में पिछले साल 3 अक्टूबर को हुए हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट(allahabad hoghcourt) की लखनऊ बेंच (lucknow bench)ने इस मामले में अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा यदि मंत्री ने किसानों को देने की धमकी ना दी होती तो यह घटना नहीं होती।

आपको बता दें कि लखीमपुर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा(ajay mishra) का बेटा आशीष मिश्रा(ashish mishra) है। कोर्ट में सुनवाई करते हुए फरवरी में आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था लेकिन इसके बाद किसान संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी इसके बाद शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा की 18 अप्रैल को जमानत रद्द कर दी। जमानत रद्द होने के बाद आशीष मिश्रा इस समय जेल में हैं। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि गाड़ी में प्रदर्शनकारी किसानों को कुचला था।

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हाईकोर्ट ने कहा उनके पदों पर बैठे राजनीतिक व्यक्तियों को समाज में इसके नतीजों को देखते हुए एक शब्द भाषा अपनाते हुए सार्वजनिक बयान देना चाहिए उन्हें गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए क्योंकि उन्हें अपनी स्ट्रीट और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करना आवश्यक है।

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इतना ही नहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि जब क्षेत्र में धारा 144 लागू थी तो कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन क्यों किया गया। इतना ही नहीं धारा लागू होने के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कार्यक्रम में क्यों शामिल हुए। कोर्ट ने कहा कि सांसदों को कानून का उल्लंघन करने वालों के रूप में नहीं देखा जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि या विश्वास नहीं होता है कि क्षेत्र में धारा 44 लागू होने के बाद भी उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री को इसकी जानकारी नहीं थी।

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