Uttar Pradesh

गाय को घोषित किया जाए राष्ट्रीय पशु – इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराज : बुधवार को एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। स्वाद पाने के लिए किसी के जीवन का अधिकार छीना नहीं जा सकता। कृषि के लिए बूढ़ी बीमार गाय भी उपयोगी है। इसकी हत्या की अनुमति देना सही नहीं हैं। अगर गाय को मारने वाले को छोड़ दिया गया तो वह दोबारा अपराध करेगा।

हाई कोर्ट द्वारा वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता के चलते गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का प्रस्ताव दिया है। कोर्ट ने कहा कि गाय को भारत में माता माना जाता हैं। गाय हिंदुओं की आस्था का मुद्दा है। देश आस्था पर चोट लगने से कमजोर होता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ एक धर्म संप्रदाय का गोरक्षा का काम नहीं है। गायों को केवल धार्मिक तरीके से न देखा जाएं। भारत की गाय संस्कृति है तथा संस्कृति की रक्षा करना देश के हर नागरिक का दायित्व है। कोर्ट ने कहा कि भारत ही पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा देश है जहां हर धर्म संप्रदायों के लोग निवास करते हैं।

पूजा पद्धति भले ही देश में अलग-अलग हो, पर सभी की एक ही सोच है। एक-दूसरे के धर्म का सभी सम्मान करते हैं। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने यह आदेश संभल के जावेद की जमानत याचिका की रद्द करते हुए दिया है। शासकीय अधिवक्ता एसके पाल, एजीए मिथिलेश कुमार ने याचिका पर प्रतिवाद किया।

याचिकाकर्ता पर आरोप है कि खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर वह अपने साथियों के साथ जंगल ले गया। दूसरी गायों समेत खिलेंद्र की गाय को वहां मारकर उसका मांस एकत्र कर टार्च की रोशनी में देखा गया। गाय के कटे सिर से शिकायतकर्ता ने पहचान की। मौके से आरोपित मोटरसाइकिल छोड़कर फरार हो गया। पुलिस ने बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया। आठ मार्च 2021 से याची जेल में बंद हैं।

हाई कोर्ट ने कहा कि गौ हत्या देश के 29 में से 24 राज्यों में प्रतिबंधित है। 410 से 440 लोगों का एक गाय अपने जीवनकाल में भोजन इकट्ठा करती है। 80 लोगों का सिर्फ गोमांस से पेट भरता है। गो हत्या पर महाराजा रणजीत सिंह ने मृत्यु दंड का आदेश दिया था। इतना नहीं, गोवध पर कई मुस्लिम तथा हिंदू राजाओं ने प्रतिबंध लगाया था।

असाध्य रोगों में गाय का मल और मूत्र फायदेमंद है। वेदों-पुराणों में गाय की महिमा का बखान किया गया है। रसखान ने कहा कि ‘उन्हें जन्म मिले तो नंद की गायों के बीच में मिले।’ मंगल पांडेय ने गाय की चर्बी के लिए क्रांति की थी। गो संरक्षण पर संविधान में भी जोर दिया गया है।

जमानत अर्जी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द करते हुए कहा कि आवेदक का यह पहला अपराध नहीं है, उसने इससे पहले भी गौ हत्या की है, समाज का सौहार्द जिससे बिगड़ गया है। जमानत पर छूटने पर फिर से वह यहीं काम करेगा। समाज में जिससे सौहार्द बिगड़ेगा। यह जमानत आवेदन आवेदक का निराधार है यह रद्द करने योग्य है। गौशालाओं के कामकाज में कोर्ट ने राज्य भर में लापरवाही बरतते पर कहा कि बहुत दुख होता है यह सब देखकर कि गोरक्षा की बात करने वाले ही गौभक्षक बन जाते हैं।

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