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यूनिवर्सल सर्विस फंड ने गिलगित-बाल्टिस्तान और POK में टेलीकॉम प्रोजेक्ट शुरू करने से किया इनकार

गिलगिट-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर अपने ही देश में पाकिस्तानी सरकार की आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सहायक कंपनी यूनिवर्सल सर्विस फंड ने गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके में दूरसंचार परियोजनाएं शुरू करने से इनकार कर दिया है। यूनिवर्सल सर्विस फंड का कहना है कि यह संवैधानिक रूप से पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। यूएसएफ ने एक पत्र में कहा कि इससे सेलुलर मोबाइल कंपनियां यहां दूरसंचार परियोजनाएं शुरू करने से इनकार कर सकती हैं।

यह स्थिति पाकिस्तान सरकार के लिए बेहद शर्मनाक है। भारत ने हमेशा दावा किया है कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। पाकिस्तानी सरकार के रवैये से रहवासी भी नाराज हैं। दरअसल, गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद ने यूएसएफ से इलाके में अपनी सेवाएं बढ़ाने का अनुरोध किया था। वह चाहते थे कि एजेंसी जल्द से जल्द इस परियोजना को शुरू करे ताकि इस पहाड़ी क्षेत्र में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। वहीं, यूएसएफ पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में बिना किसी परेशानी के काम कर रहा है।

चीन के प्रभाव और चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक गलियारे के कारण पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान में निर्माण पर जोर दे रहा है। भारतीय खुफिया सेवा के सूत्रों ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके में पाकिस्तान के पाखंड का पर्दाफाश हुआ। इन दोनों क्षेत्रों के लोग इस बात को समझ चुके हैं और अपने हक के लिए खड़े हुए हैं।

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