चारधाम यात्रा: अपने धाम रवाना हुए भगवान केदारनाथ
मंत्रोच्चारण के बीच भगवान केदारनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली आज शुक्रवार को केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान कर गई है। इस दौरान पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर परिसर के 50 मीटर के दायरे में प्रवेश निषेध रहा। डोली के धाम पहुंचने के साथ ही धारा 144 स्वत: समाप्त हो जाएगी। डोली के साथ 28 लोगों का दल धाम जा रहा है। केदारनाथ के लिए प्रशासन द्वारा देवस्थानम बोर्ड के 14 अधिकारी/कर्मचारी व 14 हक-हकूकधारियों को अनुमति दी गई है। हक-हकूकधारी डोली पहुंचाने के बाद वापस आ जाएंगे।
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भारत व राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत सभी धार्मिक गतिविधियों का संपादन किया जाएगा। बताया कि धार्मिक आस्था के साथ कोरोना से बचाव के लिए जरूरी इंतजाम किए गए हैं। बता दें कि कोविड महामारी के बीच आगामी चारधाम यात्रा को उत्तराखंड सरकार ने रद्द कर दिया है। चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। लेकिन केवल पुजारी और पुरोहित ही धामों में पूजा अर्चना करेंगे। यात्रियों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी।
धाम के कपाट 17 मई को मेष लग्न में सुबह पांच बजे खोले जाएंगे। भगवान बद्री विशाल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 18 मई प्रातः 4:15 पर खोल दिए जाएंगे। गाडू घड़ा यात्रा 29 अप्रैल को सुनिश्चित की गई है।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले और देश दुनिया के तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से इस साल चारधाम यात्रा को स्थगित किया गया है। ऐसे में संकट के इस समय में श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए भक्तों के लिए सरकार चारधाम के वर्चुअल दर्शन कराने की तैयारी कर रही है। जिससे घर बैठे लोग चारधाम के दर्शन कर सकेंगे। इस संबंध में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ भी चर्चा की।
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पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकोरश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ के क्षेत्रपाल बाबा भैरवनाथ की पूजा-अर्चना शुरू हो गई है। कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष भी आराध्य की पूजा में सीमित लोग ही शामिल हुए। पूजा में पुजारी शिव शंकर लिंग, टी-गंगाधर लिंग एवं शिव लिंग ने धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया। मंदिर के वेदपाठी विश्वमोहन जमलोकी एवं यशोधर मैठाणी के वेद मंत्रोच्चारण के बीच बाबा भैरवनाथ का महाभिषेक पूजन किया गया। इसके बाद पूरी व काली दाल की पकौड़ी का भगवान को भोग लगाया गया और केदारनाथ यात्रा के सकुशल संचालन की कामना की गई।