कभी ठेला लगाकर पढ़ाई करने वाली एनी, अब बन गईं सब-इंस्पेक्टर
एनी की संघर्ष भरी दास्तां सुन, आखों में आ जाएंगे आंसू

Desk: दंगल फिल्म का एक डायलॉग था- “हमारी छोरियां छोरों से कम है के”। ये बात केरल के तिरुवनंतपुरम जिले की रहने वाली एनी पर पूरी तरह से फिट बैठती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कभी नींबू पानी और आइसक्रीम का ठेला लगाने वाली एनी आज वर्कला पुलिस स्टेशन में सब-इंस्पेक्टर हैं। ऐसे में इन दिनों उनके संघर्ष की कहानी खूब चर्चा में हैं। तो आईए जानते हैं एनी के फर्श से अर्श तक का सफर-
एनी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। एनी जब कॉलेज में थी तो उन्हें एक लड़का पसंद आया था। जिसके बारे में उन्होंने अपने माता पिता को बताया। लेकिन उनके माता-पिता इस बात से काफी ज्यादा खफा हो गए और उन्होंने एनी की शादी एक दूसरे लड़के से करवा दी। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही वो मां बन गई। तो वहीं मां बनते ही एनी को उसके पति उस परिस्थिति में अकेले छोड़ दिया। इस दौरान भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बच्चे और पढ़ाई का बढ़िया से ध्यान रखा और डिस्टेंस लर्निंग के जरिए पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री भी हासिल की।
इसके बाद अपने बच्चे का पेट भरने के लिए एनी ने नींबू पानी और आइसक्रीम का ठेला लगाने से लेकर और घर-घर जाकर सामान बेचने तक का काम किया हुआ है। आलम ऐसा था कि वे ज्यादा पैसे कमाने के लिए बैंकों में बीमा पॉलिसी की ब्रिक्री भी करती थी।
तो वहीं ठेला लगाते वक्त उन्हें कई लोग गंदे नजर से भी देखते थे। जिसके कारण एनी ने इससे बचने के लिए ‘बॉय कट’ हेयरस्टाइल रखने का फैसला किया। ऐसे में इस संघर्ष भरे समय में भी एनी के एक रिश्तेदार ने उनकी मदद की और उन्होंने पुलिस की तैयारी करने को कहा, साथ ही पढ़ाई में मदद के लिए पैसे भी उधार दिए।
समय पर मिली इस छोटी सी मदद के कारण एनी ने साल 2016 में पहली बार सफलता मिली और वो सिविल पुलिस अधिकारी बनीं। इसके तीन साल बाद उन्होंने सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा पास कर ली। डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद शनिवार (26 जून) के दिन एनी को वर्कला थाने में प्रोबेशनरी सब-इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है।
तो वहीं एनी ने पदभार संभालने के बाद कहा कि, “मुझे एक आईपीएस अधिकारी के रूप में देखना मेरे पिता का सपना था। इसलिए मैंने बहुत मेहनत से पढ़ाई की। नौकरी पाना मेरा मिशन बन गया था। जीवन की परिस्थितियों पर रोने का कोई फायदा नहीं होता। हमें छलांग लगानी होती है। हमारी हार तब तक हार नहीं है जब तक हम यह तय नहीं कर लेते कि हम हार गए हैं।”