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जानें क्या है डायबिटिक रेटीनोपैथी, जाने इसका उपचार और उपाय- डॉ. संजीव गुप्ता
इंजेक्शन से मरीजों को किसी तरह का दर्द नहीं होगा। इसके लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के मरीजों के लिए खुशखबरी है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने शोध कर बताया है कि डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज में इस्तेमाल किये जाने वाले इंजेक्शन से मरीजों को किसी तरह का दर्द नहीं होगा। इसके लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी –
बता दें, आज हमारे देश में डायबिटीज एक ऐसी बीमारी बन चुकी है, जो हर दस लोग में से एक में सुनने को मिल ही जाती है। बातचीत के दौरान केजीएमयू के आंख विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव गुप्ता ने बताया कि इस वक्त भारत में दस करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं। यही नहीं, इस बीमारी ने एक बार जिसको अपनी चपेट में लिया उसको पांच या दस साल बाद उसको और बीमारियां घेर लेती हैं और खोखला कर देती हैं। उन में से एक डायबिटिक रेटीनोपैथी भी है। जिसमें अगर समय रहते मरीज को इलाज न मिले तो वो अपने देखने की छमता को खो देता है और उसे आगे चलके अंधेपन की समस्या हो सकती है।
उपचार क्या है –
डायबिटिक रेटीनोपैथी जीतनी खतरनाक बीमारी है उतनी ही खतरनाक उसका उपचार था। जिसमें लोगों को अपने आंखो में इंजेक्शन लगवाना पड़ता था और बहुत दर्द सहना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि डॉ. संजीव का कहना है कि अब इलाज के दौरान मरीज को दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा। डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज के लिए उसके स्टेज के हिसाब से उपचार किया जाता है। कई तरह के उपचार हैं, जैसे की आई ड्राप, लेजर, आंखों में इंजेक्शन और सर्जरी भी मुख्य रुप से शामिल है। उन्होंने बताया कि डायबिटिक रेटीनोपैथी के दौरान होने वाले रेटिनल एडेमा और रेटिनल ब्लीडिंग के उपचार के लिए मरीज को आंखों में इंजेक्शन लगाना पड़ता था जो कि बहुत ही दर्द दायक होता है।
कौन सी दवा जरुरी है इसमें –
डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज में सबसे जरुरी दो दवाएं हैं, एक तो बीवासिजुमाब और दूसरा रानीबीजुमाब है। इसके अतिरिक्त स्टेरायड के तौर पर ट्राई सिमोलोन एसिटेट और रेटीनाब्लास्टोमा को कार्बोप्लेटेंट को इंजेक्शन के द्वारा मरीज आंखो में लगाया जाता है। एक बार इंजेक्शन लगने के बाद मरीजों की छह हफ्तों तक देखभाल की जाती है। और अगर मरीज को जरुरत पड़ती है तो दूसरी डोज भी लगाई जाती है।
बातचीत के दौरान डा. संजीव ने कहा कि डायबिटिक रेटिनोपैथी का इंजेक्शन आमतौर पर आंखों में सीधे नहीं थोड़ा तिरछा लगाया जाता है, जिसके बाद आंखो में वाल्व नुमा छेद बने और आंख का द्रव बाहर तक नहीं निकले। इस प्रक्रिया में मरीज को बहुत दर्द का सामना करना पड़ता था