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कोरोना वायरस: दूसरे देशों के मुकाबले भारत में हो रही कम जांचें, जांच बढ़ी तो बढ़ सकते हैं मामले

द इंडिया राइज
कोरोना से जंग लड़ रहे दुनिया के अधिकतर देशों ने लॉकडाउन के दौरान अधिक से अधिक जांचों को तरजीह दी। नतीजा ये रहा है कि कोरोना संक्रमित अधिक मरीजों की पहचान हो सकी। भारत में अभी जांच की दर दूसरों देशों की तुलना में काफी कम है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रिपोर्ट के अनुसार देश में अब तक करीब दो लाख 31 हजार से ज्यादा जांच हुई और 10 हजार से ज्यादा में संक्रमण की पुष्टि हुई है।
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आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के 21 दिन में देशभर में रोज 11,047 लोगों की ही जांच हो सकी है। इस तरह भारत दुनिया के पांच कोरोना प्रभावित देशों की तुलना में जांच में सबसे पीछे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), जॉन हॉपकिन्स और दूसरे संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार अब तक हुई कुल जांच और लॉकडाउन के समय से तुलना करेंगे तो अमेरिका जांच में सबसे आगे है।

13 मार्च को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना को नेशनल इमरजेंसी घोषित किया यानी अब कुल 30 दिन हो गए हैं। यहां 28,33,112 लोगों की जांच हुई यानी रोजाना 94,437 लोगों की। इटली में लॉकडाउन को 34 दिन हो चुके हैं और इस दौरान औसतन यहां 29,711 लोगों की रोजाना जांच हुई।

स्पेन में चल रहा लॉकडाउन 29 दिन का हो गया है। यहां औसतन 20,689 लोगों की जांच रोज हुई। फ्रांस में 16 मार्च को लॉकडाउन हुआ था और यहां रोजाना 12,363 लोगों की जांच हुई। ब्रिटेन में 23 मार्च को लॉकडाउन हुआ और रोजाना औसतन 16,712 लोगों की जांच हुई।

94,437 लोगों की जांच औसतन रोजाना हुई अमेरिका में:
29,711 लोगों की रोजाना कोरोना जांच हुई इटली में
20,689 लोगों की जांच रोजाना औसतन हुई स्पेन में
12,363 लोगों की रोजाना औसतन जांच हुई फ्रांस में
16,712 लोगों की जांच औसतन रोज ब्रिटेन में हो चुकी है

भारत में अभी एक लाख जांच पर औसतन 5 हजार मरीज…
भारत में अभी के आंकड़े देखें तो प्रति एक लाख कोरोना जांच पर 5 हजार मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई है। अगर आने वाले समय में भी मौजूदा दर से ही मरीज मिलते रहे तो जब भारत में अमेरिका के बराबर 28 लाख जांचें होंगी तब देश में केवल एक लाख 40 हजार ही कोरोना संक्रमित होंगे यानी अमेरिका से 4,20,433 मरीज कम। इसका मतलब है कि मौतों का आंकड़ा भी कम होगा। हालांकि अमेरिका में जांच की दर जैसे-जैसे बढ़ी मरीजों की संख्या भी दोगुनी होती चली गई।

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75 दिन के हिसाब से रोजाना 3,066 जांचें
भारत में कोरोना का पहला मरीज 30 जनवरी को मिला था। 14 अप्रैल को कुल 75 दिन हो गए। इस बीच करीब दो लाख 32 हजार लोगों की जांच हुई। इस आधार पर अगर पहले दिन से ही तुलना करें तो देश में तब से रोजाना 3,093 लोगों की ही कोरोना जांच हो सकी है।

यूपी: अब तक सिर्फ 13,287
देश में मंगलवार को लॉकडाउन को 21 दिन हो गए और देश के सबसे बडे़ राज्य जिसकी आबादी करीब 21 करोड़ हैं वहां सोमवार तक केवल 13,287 लोगों की कोरोना जांच हुई है।  यहां रोजाना औसतन 633 लोगों की जांच हो रही है। खास बात ये है कि यहां लॉकडाउन से पहले ही जांच हो रही है। अभी कुल चौदह लैब सक्रिय हैं। इसका मतलब की एक लैब में रोजाना औसतन 45 सैंपल की ही जांच हो रही है।

इटली, स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन में जांच पर जोर
इटली में 10,10,193 जांच हुई और 1,56,363 लोगों में वायरस मिला। स्पेन में छह लाख जांच हुई और 1,69,496 लोगों में वायरस मिला। फ्रांस में 3,33,807 सैंपल लिए और 1,32,591 लोग संक्रमित मिले। ब्रिटेन में अब तक 3,52,974 सैंपल लिए व 84, 279 लोग संक्रमित पाए गए।

अमेरिका: 10 लाख की आबादी पर जांच अधिक
अमेरिका में प्रति दस लाख की आबादी पर 8,559 लोगों की जांच हुई है। इटली में 15,935, स्पेन में 7,593, ब्रिटेन में 5,200 और फ्रांस में 5,114 लोगों की जांच अब तक हुई है। हालांकि अमेरिका की आबादी करीब 32 करोड़ है। 135 करोड़ से अधिक की आबादी वाले भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर केवल 150 लोगों की ही कोरोना जांच हो रही है। बाकी चार देशों की आबादी 4 करोड़ से 7 करोड़ के बीच है।

स्पेन: दस लाख पर सर्वाधिक मौतें
कोरोना से प्रभावित शीर्ष पांच देशों की तुलना करें तो स्पेन में प्रति दस लाख की आबादी पर सबसे अधिक 374 लोगों की मौत दर्ज हुई है।  इटली 329 मौतों के साथ दूसरे, फ्रांस 221 मौतों के साथ तीसरे, ब्रिटेन 167 मौतों के साथ चौथे और अमेरिका 67 मौतों के साथ पांचवे नंबर पर है। भारत में अभी ये आंकड़ा सात है।

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