विदेशों से युवाओं को यह भी सीखना चाहिए
खान-पान से लेकर पहनावे तक भारत के युवा विदेशी संस्कृति को अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं पश्चिमी सभ्यता भारत के युवाओं ( Youngsters ) पर इस कदर हावी हो चुकी है कि युवाओं को अपनी संस्कृति छोड़ दूसरों के संस्कृति अपनाने का ज्यादा मन करता है उन्हें ज्यादा बेहतर लगता है क्योंकि वह देश विकसित देश है। युवाओं के मन में कहीं न कहीं यह बात बैठ चुकी है कि वह हमसे बेहतर है शायद इसीलिए युवा विदेशी व पश्चिमी संस्कृतियों को अपने ऊपर लागू करते जा रहे हैं लेकिन युवाओं को बहुत सी ऐसी भी चीजें हैं जो सच में पश्चिमी देशों से सीखने वाली है लेकिन क्या भारत का युवा उनको सीख पाता है?
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अगर आप इसका जवाब ढूंढ रहे हैं तो बहुत ही कम ऐसे युवा होंगे जो पश्चिमी संस्कृति से अच्छी चीजें सीखने या समझने की कोशिश करते हैं, भारत के युवा पश्चिमी देशों की संस्कृति को आधुनिकता के नाम पर अपनाते जा रहे हैं यह भी कहा जा सकता है कि युवा पीढ़ी पर विदेशी बुखार इस कदर हावी होता जा रहा है की युवा धीरे-धीरे भारत की पुरातन संस्कृति को भूलते जा रहे हैं यह भारत के भविष्य के लिए काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं से ही तय होता है।
Social media और इंटरनेट के आने के बाद से नजदीकियां जो कभी सात समंदर पार रहती थी वह अब सिमटकर सिर्फ मोबाइल फोन में आ गई है जो युवाओं को एक दूसरे की संस्कृति अपनाने पर समझने पर और सोचने पर मजबूर कर देती है इस पूरे हालातों में स्थिति यह बन रही है कि हमारी युवा पीढ़ी में भटकाव के हालात निर्मित हो रहे हैं। यह बातें भी अक्सर कही जाती हैं कि स्वस्थ तथा सशक्त समाज के निर्माण में युवा पीढ़ी का अहम योगदान होता है।
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लेकिन जब इन ही युवा पीढ़ियों को नशे की लत अपने गिरफ्त में लेने लगती है तो सरकार के साथ साथ हमें भी जागरूक हो जाने की जरूरत है जागरूकता का माहौल बनाना ही ऐसे वक्त में उचित मार्ग साबित हो सकता है एक बात और है कि हम आधुनिकता के नाम पर पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने की कोशिशों में लगे हुए हैं ऐसे हालातों में उनसे भी कुछ सीखना बहुत जरूरी है ऐसा नहीं है कि पश्चिमी संस्कृति में सब कुछ खराब ही है बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो हमारे देश के युवा उनसे सीख कर खुद को आगे बढ़ाने के लिए और अपने देश को ऊंचा करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
आपको इस बात की जानकारी हो की हाल ही में दो महत्वपूर्ण बातें सामने आई है, जिसमें एक अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओसामा का धूम्रपान से तौबा करने की है तो दूसरी स्पेन की है।वैसे भी अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति माना जाता है और यदि वहां के राष्ट्रपति कुछ ऐसा निर्णय ले, जिससे दुनिया के समाज में सकारात्मक संदेश जाए तो हमारा मानना है कि उससे आत्मसात करने व अपनाने में किसी तरह का गुरेज नहीं करना चाहिए।
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सुनिए यह किस्सा
जब अमेरिका के राष्टपति पद का चुनाव हो रहा था, उस दौरान बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने यह कहकर चुनाव प्रचार में भागीदारी निभाने की बात कही थी कि वे इसके बाद से धूम्रपान नहीं करेंगे। इस तरह बाद में चुनावी नतीजे बराक ओबामा के पक्ष में आए और वे चुनाव जीतकर दुनिया के शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति बन गए और एक महाशक्ति के रूप में दुनिया के समक्ष उभर के दुनिया के सामने आए। उस दौरान ओबाम के धूम्रपान से तौबा करने संबंधी किसी तरह की कोई बातें या फिर रिपोर्ट मीडिया में नहीं आई, लेकिन कुछ वक्त बाद इस बात का खुलासा किया गया कि बराक ओबामा धूम्रपान नहीं कर रहे हैं और मिशेल ओबामा से वायदे के बारे में बताया गया।
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दूसरा किस्सा
भारत इस दूसरे किस्से से भी काफी महत्वपूर्ण चीज सीखने को मिल सकती है दरअसल दूसरा किस्सा स्पेन का है यहां पर धूम्रपान को लेकर एक सख्त कानून बना है, जिसके तहत यदि कोई व्यक्ति वहां सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करता है तो इस अपराध के कारण उस व्यक्ति पर छह लाख यूरो अर्थात् साढ़े तीन करोड़ रूपये का जुर्माना किया जाता है। स्पेन के इस सख्त कानून से भी हमें सीख लेने की जरूरत है, क्योंकि भारत में कानून तो है, लेकिन उसके पालन करने लोगों में ही जागरूकता दिखाई नहीं देती है।