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कौन हैं “कैप्टन कूल , जानें क्या हैं सफलता की कहानी

भारत में क्रिकेट मैच को गेम नहीं बल्कि एक त्योहार की तरह मनाया जाता है । चाहे वो टी 20 वर्ल्ड कप हो , आई. पी. एल. या वन डे इंटरनैशनल । हम भारतीय सभी के साथ मिलकर मैच का आनंद लेते हैं । आज लगभग हर युवा किसी न किसी क्रिकेटर को अपने रोल मॉडल के रूप में मानता है और हम कभी-कभी इस तथ्य को ही भूल जाते हैं की “हॉकी” हमारा राष्ट्र खेल है । कैप्टन कूल

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नई पीढ़ी के क्रिकेटर जिन्होंने सर्वाधिक लोकप्रियता हासिल की है वह एम. एस. धोनी , विराट कोहली , रोहित शर्मा आदि हैं । और इस सफलता की कहानी में हमने भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन कूल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बारे में साझा किया है । धोनी का मानना है की वे कभी भी भीड़ के लिए नहीं खेलते , बल्कि अपने देश के लिए खेलते हैं । कैप्टन कूल धोनी के फैंस ने उनके कई नाम रखे हैं जैसे  कैप्टन कूल , कूलनेस , माही , एमएसडी आदि ।

प्रारंभिक जीवन
कैप्टन कूल धोनी का जन्म रांची , बिहार में हुआ था और वे एक हिंदू राजपूत परिवार से हैं । उनका पैतृक गांव लावली , उतराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में है । धोनी के माता पिता उत्तराखंड से रांची आ गया थे , जहां उनके पिता जी पान सिंह , मेकॉन में जूनियर मैनेजमेंट पदों पर काम करते थे । धोनी की एक बहन जयंती गुप्ता और भाई नरेंद्र सिंह धोनी हैं । धोनी एडम गिलक्रिस्ट के प्रशंसक हैं , बचपन से ही उनके आइडल क्रिकेट के सचिन तेंदुलकर , बॉलीवुड के अभिनेता अमिताभ बच्चन और गायिका लता मंगेशकर थीं ।

कैप्टन कूल धोनी ने डी. ए. वी. जवाहर विद्या मंदिर , श्यामली , रांची , झारखंड में अध्ययन किया , जहां उन्होंने शुरुआत में बैडमिंटन और फुटबॉल में उत्कृष्ठ प्रदर्शन किया और इन खेलों में जिला और क्लब स्तर पर चुने गए थे । वह अपने फुटबॉल टीम के लिए एक गोलकीपर भी थे और उन्होंने अपने फुटबॉल कोच द्वारा एक स्थानीय क्रिकेट क्लब के लिए क्रिकेट खेलने भी भेजा गया था ।

हालांकि वहां उन्होंने क्रिकेट नहीं खेला था , उन्होंने अपने विकेट कीपिंग के कौशल से सबको प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब में नियमित विकेट कीपर बन गए थे । कमांडो क्लब क्रिकेट में उनके अच्छे प्रदर्शन के आधार पर उन्हें 1997–1998 सीज़न के वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर–16 चैंपियनशिप के लिए चुना गया तब। धोनी ने अपनी 10 वीं कक्षा के बाद क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित किया ।

उन्होंने 2001–2003 तक खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर एक यात्रा टिकट परीक्षण (टी. टी. ई.)  के तौर पर भी काम किया था , यह पश्चिम बंगाल में मिदनापुर में दक्षिण पूर्व रेलवे के अंतर्गत आता है ।
भारतीय रेलवे में उनके सहयोगी उन्हें एक बहुत ही सीधे और ईमानदार कर्मचारी के रूप में याद करते हैं । लेकिन वास्तविक में उनका एक शरारती पक्ष भी है ।

भारतीय क्रिकेट में प्रवेश और कैप्टन बनने का सफर
क्रिकेट खेलते खेलते उनका मन काम पर से हटने लगा था और वह अपन पूरा समय इसी को देना चाहते थे और इसी में अपना करियर बनाने का सोच लिए थे ।

उसी समय बी. सी. सी. आई. टीम के प्रकाश पोद्दार ने उनके अद्भुत खेल को देखा और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए चुन लिया । बी. सी. सी. आई. एक ऐसी टीम है जो छोटे शहरों से अच्छे टैलेंट को खोज कर उन्हे बड़ा मौका देने का काम करती है । प्रकाश पोद्दार बंगाल टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं।

धोनी को 2003–2004 सीज़न में विशेष रूप से वन डे प्रारूप में उनके प्रयासों के लिए पहचाना गया था और जिम्बाब्वे और केन्या के दौरे के लिए इंडिया ए स्क्वाड के लिए चुना गया था । हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे के खिलाफ धोनी ने मैच में 7 कैच और 4 स्टैंपिंग के साथ अपने सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपिंग का नमूना दिया । अपने अच्छे प्रदर्शन को जारी रखते हुए उन्होंने एक ही टीम के खिलाफ बैक टू बैक सेंचुरी और रन बनाए थे ।

धोनी ने 72.40 की औसत से 6 पारियों में 362 रन बनाए थे और श्रृंखला में उनके प्रदर्शन ने तत्कालीन भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली और रवि शास्त्री सहित अन्य लोगों का ध्यान आकर्षित किया था । वहीं भारत ए टीम के कोच  संदीप पाटिल ने भारतीय क्रिकेट टीम में विकेट कीपर और बल्लेबाज के तौर पर धोनी की सिफारिश की ।

धोनी के इंडिया ए स्क्वाड में अपनी पहचान बनाने के साथ उन्हें 2004–2005 में बंगलादेश दौरे के लिए वन डे टीम में चुना गया था , लेकिन उन्होंने इसकी शुरुआत शानदार नहीं की ओर डेब्यू पर डक में ही वह आउट हो गए । बंगलदेश के खिलाफ एक औसत श्रृंखला के बावजूद , धोनी को पाकिस्तान वन डे श्रृंखला के लिए चुना गया था ।

श्रृंखला के दूसरे मैच में , धोनी ने अपने पांचवे वन डे अंतराष्ट्रीय मैच में , विशाखापत्तनम में केवल 123 प्रसवों में 148 रन बनाए । धोनी के 148 रन ने एक भारतीय विकेट कीपर द्वारा उच्चतम स्कोर के लिए पहले के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया था ।

2007 में जब राहुल द्रविड़ ने टेस्ट और वन डे कैप्टेंसी से इस्तीफा दे दिया तब सचिन तेंदुलकर को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनने को कहा जाने लगा तब उन्होंने विनम्रता से माना कर दिया और धोनी को कैप्टन पद लिए चुनने को कहा । उनकी इस राय से बोर्ड के मेंबर्स भी पूरी तरह सहमत हो गए और धोनी इंटरनेशनल क्रिकेट के कैप्टेन बन गए ।

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धोनी उन सफल कप्तानों में से हैं जो भारत को मिले हैं । उन्होंने 60 टेस्ट मैचों में से 27 टेस्ट मैचों की जीत के लिए भारत का नेतृत्व किया और एक कप्तान के रूप में 194 वन डे मैचों में 107 वन डे में जीत दर्ज की । उन्होंने 70 टी 20 मैचों में कप्तानी की ओर उसमें से 40 में जीत हासिल की ।
धोनी ने हाल ही में भारत के 74 वें स्वतंत्रता दिवस , 15 अगस्त , 2020 को अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास की घोषणा की थी ।

धोनी ने 4 जुलाई 2010 को डी. ए. वी. जवाहर विद्या मंदिर , श्यामली में अपनी सहपाठी रह चुकी साक्षी सिंह रावत से शादी की । 6 फरवरी 2015 को उनकी एक बेटी हुई जिसका नाम जीवा रखा । जीवा के जन्म के समय धोनी 2015 क्रिकेट विश्व कप के साथ भारतीय टीम के कप्तान के रूप में एक सप्ताह दूर थे । उन्होंने भारत वापस न आने का फैसला लिए और कहा कि वह राष्ट्रीय कर्तव्य पर हैं , बाकी अन्य चीजें इंतजार कर सकती हैं ।

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