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क्या है मनोदर्पण अभियान, जानें इसकी आवश्यकता 

मनोदर्पण अभियान : पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के चलते हर कोई परेशान है। न जाने कितने लोगों को इसकी वजह से कितनी कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता होगा। भारत देश में भी कोरोना वायरस की वजह से लोगों को कई आपदाओं का भी सामना करना पड़ा। नौकरी जाना, अपने घर से दूर होना या फिर पढ़ाई का बोझ, ऐसी कितनी ही परेशानियां होंगी।

वायरस के चलते बढ़ती हुई परेशानी की वजह से आम आदमी के ऊपर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा है। खास तौर पर यह प्रभाव बच्चों पर पड़ा है। वह बच्चे जो कि अपने युवावस्था में है और पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं इस वायरस की मार झेल रहे हैं। बच्चों को मनोवैज्ञानिक तौर पर मजबूत करने के लिए देशभर में एक नई अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान का नाम मनोदर्पण अभियान है। आज हम आपको इसी अभियान के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

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क्या है मनोदर्पन अभियान?

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का फैसला हर किसी के लिए अकल्पनीय था। इस वायरस की वजह से हो रहे नुकसान अनगिनत है। कोरोनावायरस की वजह से पूरे भारत देश में भी कई लोगों पर या कहा जाए हर इंसान पर प्रभाव पड़ा है। लेकिन इस वायरस से लोगों को मात्र शारीरिक कष्ट नहीं पहुंचा है बल्कि उन्हें मानसिक तनाव का शिकार भी होना पड़ा है।

घर में बंद रहने और ऑनलाइन क्लास की पढ़ाई की वजह से स्कूली बच्चों के साथ उनके पैरेंट्स और शिक्षकों भी तनाव जैसी परेशानियों से जूझ रहें हैं।
इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में मनोदर्पण अभियान की शुरुआत की। विशेषज्ञों ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के तनाव को दूर करने के लिए मनोदर्पण अभियान के अंतर्गत कई गाइडलाइंस जारी की है। सरकार ने इस अभियान को 20 जुलाई 2020 को लॉन्च किया।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को मनोवैज्ञानिक तौर पर सहायता उपलब्ध करवाना है। यह अभियान आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत है चलाया गया है।

क्या है अभियान की आवश्यकता?

जैसा कि हर कोई जानता है कि महामारी के दौरान वह खाली शारीरिक तनाव से नहीं गुजर रहे थे बल्कि मानसिक तनाव से भी जूझ रहे थे। महामारी की वजह से दुनिया न केवल एक स्वास्थ्य आपातकाल से गुजर रही है बल्कि इसने पूरे मानव समाज में अनिश्चितता की भावना और मनोसामाजिक तनाव पैदा कर दिया है।

किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है जब कोई बच्चा युवा अवस्था में प्रवेश करता है। इस दौरान उस बच्चे ने कई भावनात्मक और शरीरात्मक बदलाव आते हैं। इसी वजह से इस महामारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर ही पड़ा है ऐसा इसलिए क्योंकि वे इस वक्त वे तनाव, चिंता, भय के साथ-साथ भावनात्मक और व्यावहारिक बदलाव से भी गुजर रहे हैं। घर पर रहकर काम करना यानी कि वर्क फ्रॉम होम लोगों के लिए कठिन कार्य है क्योंकि इससे पहले ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। इसी वजह से महामारी के चलते अध्यापकों और अभिभावकों में भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई है । दुर्भाग्यवश यह ऐसा कठिन समय है जब हर कोई तनाव से गुजर रहा है इसी वजह से अभिभावक भी अपने बच्चों को मार्गदर्शन नही दे पा रहे और उनकी मदद भी नही कर पा रहे हैं।

कोविड19 महामारी के इस दौर में छात्रों को आठ प्रकार के तनावों से गुजरना पड़ता है।महामारी का डर, लॉकडाउन, परीक्षा-रिजल्ट की चिंता, पढ़ाई, क्लास व भविष्य को लेकर अनिश्चितता, ऑनलाइन पढ़ाई, खेलकूद से दूर रहना, परिवार में किसी की मृत्यु व कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आना,नौकरी जाना या आमदनी घटना, मानसिक व शारीरिक तनाव आदि प्रकार के तनाव इसमें शामिल हैं।

इन्हीं सब परेशानियों से निपटने के लिए सरकार ने इस अभियान की पहल की है।

अभियान के अंतर्गत होने वाले काम

इस अभियान के अंतर्गत सरकार ने कई कार्यो को अंजाम दिया है–
सलाहकारी दिशानिर्देश –
इसमें परिवारों के साथ-साथ छात्रों, शिक्षकों एवं स्कूल प्रणालियों और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए सलाहकारी दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। जैसे

एमएचआरडी वेबसाइट पर बनाया वेब पेज –
सरकार द्वारा बनाए गए इस पेज पर मनोवैज्ञानिक समर्थन, पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ) , ऑनलाइन क्वेरी सिस्टम, पोस्टर, वीडियो कॉलिंग सलाहकार और व्यावहारिक सुझाव मौजूद रहेंगे।

राष्ट्रीय स्तर के डेटाबेस और काउंसलरों की निर्देशिका–
 इसकी मदद से स्वैच्छिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर टेली काउंसलिंग सेवा प्रदान की जाएगी।

राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन –
इस अनूठी हेल्पलाइन को परामर्शदाताओं या वैज्ञानिकों  के एक समूह द्वारा संचालित किया जाएगा जो कोरोना संकटकाल के बाद भी जारी रहेगी। जैसे की यदि आपको लॉकडाउन की वजह से तनाव का सामना करना पड़ रहा है तो वे टोल फ्री नंबर 8448440632 पर सुबह आठ से शाम आठ बजे तक फोन करने पर लोग मनोचिकित्सा से संबंधित परामर्श ले सकते हैं।

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मनोवैज्ञानिक समर्थन हेतु हैंडबुक –
सभी लोगों के लिए एक हैंडबुक भी बनाई गई है।
 छात्रों के कल्याण के लिए आनलाईन हैंडबुक प्रकाशित किया जाना था । यह हैंडबुक कोरोना संकटकाल के दौरान और उसके बाद भावनात्मक और व्यवहार संबंधी चिंताओं से निपटने के तरीकों और साधनों से अवगत कराएगी।

इंटरैक्टिव ऑनलाइन चैट प्लेटफॉर्म –
सभी छात्रों और उनके परिवारों और अध्यापकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श एवं मार्गदर्शन के लिए कॉलिंग सुविधा के साथ एक इंटरैक्टिव ऑनलाइन चैट प्लेटफॉर्म की भी शुरुआत की गई है । यह ऑनलाइन चैट सुविधा के साथ समय-समय पर वेबनार के जरिए  सभी से जुड़ने की कोशिश करेगा।

किसको होगा फायदा?

इस अभियान के तहत भारत में रहने वाला हर वह इंसान इसका फायदा उठा सकता है जो कि किसी प्रकार के मनोवैज्ञानिक दबाव या तनाव से जूझ रहा है। इसमें बच्चे, उनके माता-पिता, टीचर यानी कि अध्यापक ,अथवा कोई भी इंसान इसका फायदा ले सकता है। इस योजना की अच्छी बात यह है कि देश में तनाव को देखते हुए यह योजना कोरोना वायरस के बाद भी जारी रहेगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आप निसंकोच किसी भी ऊपर लिखित प्रकार से सरकार की इस योजना से जुड़ सकते हैं।

फिलहाल सरकार द्वारा शुरू किए गए इस मनोज दर्पण अभियान के बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है। शायद ऐसा इसलिए क्योंकि सभी का ध्यान महामारी पर हो लेकिन इस बात को लगा रहा नहीं जा सकता कि सरकार इसके लिए और अच्छे से कार्य कर सकती थी। इस योजना के बारे में अधिक से अधिक संचार किया जाना चाहिए था ताकि यह लोगों तक पहुंच सके और लोग इसका सुगम तरीके से फायदा उठा सकें।

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