Sports

ये है सुरेश रैना के विस्फोटक बल्लेबाज बनने की कहानी 

सुरेश रैना एक भारतीय प्रोफेशनल क्रिकेटर है। वे बाएँ हाथ के मध्यक्रम बल्लेबाज है और कभी-कभी वे ऑफ-स्पिनर बॉलर भी बन जाते है। इसके साथ ही वे वर्ल्ड क्रिकेट के बेहतरीन फील्डरो में से एक है। डोमेस्टिक क्रिकेट में वे उत्तर प्रदेश की तरफ से खेलते है और इंडियन प्रीमियर लीग में वे गुजरात लायंस के कप्तान भी है।

उन्होंने कुछ समय के लिये भारतीय टीम की कप्तानी भी की है और सबसे कम उम्र में कप्तानी करने वाले वे दुसरे खिलाडी भी है। तीनो इंटरनेशनल फॉर्मेट में शतक मारने वाले दो भारतीयों में से सुरेश रैना एक है। वे एक ताबड़तोड़ टी20 बल्लेबाज माने जाते है। आक्रमक अंदाज़ की वजह से उनका टेस्ट करियर ज्यादा समय तक नही चल पाया।

यह भी पढ़ें : ऐसे बनाएं बॉक्सिंग में अपना करियर 

मुश्किल समय के दो दशक बाद तक दुनिया भर के क्रिकेट मैदानों में रैना ने अपने कौशल का लोहा मनवाया। उन्होंने हाल ही में अपने सफल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा है। रैना ने निलेश मिसरा के ‘द स्लो इंटरव्यू’ साक्षात्कार में बताया कि उनके परिवार में 8 लोग थे और उस समय दिल्ली में क्रिकेट अकादमियों की मासिक फीस 5 से 10 हजार रुपये प्रति महीना होती थी। इस दौरान लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह खेल कॉलेज (Guru Govind Singh Sports University, Lucknow) में उनका चयन हुआ और फिर सब कुछ इतिहास का हिस्सा बन गया। रैना ने कहा, ‘पापा सेना में थे, मेरे बड़े भाई भी सेना में हैं। पापा अयुध फैक्ट्री में बम बनाने का काम करते थे। उन्हें उस काम में महारत हासिल थी।’

रैना के बचपन का नाम सोनू है। उन्होंने कहा, ‘पापा वैसे सैनिकों के परिवारों की देखभाल करते थे, जिनकी मृत्यु हो गई थी। उनका बहुत भावुक काम था। यह कठिन था, लेकिन वह सुनिश्चित करते थे कि ऐसे परिवारों का मनीऑर्डर सही समय पर पहुंचे और वे जिन सुविधाओं के पात्र हैं वे उन्हें मिले।’

रैना ने 2005 में 19 साल की उम्र में श्रीलंका के खिलाफ एकदिवसीय मैच में डेब्यू किया था। उन्होंने टेस्ट डेब्यू इसके पाँच साल बाद किया था, 2010 में इसी टीम के खिलाफ उन्होंने टेस्ट डेब्यू किया था। टेस्ट में अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने शतक मारा था। 2011 में विश्व विजेता इंडियन टीम के वे सदस्य थे।

सुरेश रैना के पिता मुरादनगर की ऑर्डनेन्स फैक्ट्री में काम करते है जबकि उनकी माता का नाम परवेश रैना है। वे उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद के शहर के राजनगर में रहते है। उन्हें तीन छोटे भाई दिनेश रैना, नरेश रैना और मुकेश रैना और एक बड़ी बहन रेनू भी है। सुरेश रैना का एक आर्टिकल 2012 में आयी किताब राहुल द्रविड़ : टाइमलेस स्टील में भी प्रकाशित किया गया था।

सन 2000 में रैना ने क्रिकेट खेलने का निर्णय लिया और तुरंत अपने घर मुरादनगर, गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश चले गए। और वहाँ वे विशेष गवर्नमेंट स्पोर्ट कॉलेज में दाखिल हुए। इसके बाद वे उत्तर प्रदेश से अंडर-16 के कॅप्टन बने और सन 2002 में इंडियन सेलेक्टर्स की नजरे उनपर पड़ी। और 15 साल की उम्र में ही उनका सिलेक्शन अंडर-19 की टीम के लिये कर लिया गया था और अंडर-19 मैचो में उन्होंने 2 अर्धशतक भी बनाये।

इसके बाद अंडर-17 की टीम के साथ वे श्रीलंका के टूर पर गए थे और जीतकर वापिस लौटे। इसके बाद उन्होंने आसाम के खिलाफ फरवरी 2003 में रणजी डेब्यू किया था, उस समय उनकी उम्र केवल 16 साल की ही थी।

इसके बाद उन्होंने अंडर-19 की टीम के साथ पाकिस्तान टूर किया। और उनके प्रदर्शन को देखते हुए सिलेक्टर ने उनकी नियुक्ति 2004 के अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिये की गयी थी, इस वर्ल्ड कप में उन्होंने 3 अर्ध शतक लगाये थे, जिनके एक बार उन्होंने 38 गेंदों पर 90 रन भी बनाये थे।

इसके बाद ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट अकैडमी में प्रशिक्षण पाने के लिये उन्हें बॉर्डर-गावस्कर स्कालरशिप भी मिली थी। इसके बाद 2005 के शुरू में ही उन्होंने लिमिटेड-ओवर की श्रेणी में डेब्यू किया था और उस सीजन में उन्होंने 53.75 के एवरेज से 645 रण बनाये थे। उन्होंने कहा, ‘बचपन में जब मैं खेलता था तब पैसे नहीं थे। पापा दस हजार रुपये कमाते थे और हम पांच भाई और एक बहन थे। फिर मैंने 1998 में लखनऊ के गुरु गोबिंद सिंह खेल कॉलेज में ट्रायल दिया।

हम उस समय 10,000 का प्रबंधन नहीं कर सकते थे।’ उन्होंने कहा, ‘मैं एलओसी (LoC) पर दो से तीन बार गया हूं। मैं माही भाई (महेन्द्र सिंह धोनी) के साथ भी गया था, हमारे कई दोस्त हैं जो कमांडो हैं।’ क्रिकेट के बारे में बात शुरू होने पर रैना ने सचिन तेंदुलकर और धोनी की उस सलाह को याद किया जो उन्होंने 2011 वर्ल्ड कप कप के लिए दी थी। इन दोनों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय टीम की किसी भी रणनीति को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के विदेशी साथी खिलाड़ियों से साझा नहीं करने को कहा था।

यह भी पढ़ें : सायना नेहवाल ऐसे बनीं स्टार प्लेयर, भारत का नाम किया रोशन  

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियाँ –

• टी20 में शतक बनाने वाले तीसरे बल्लेबाज बने।
• खेल की तीनो श्रेणियों में शतकवीर बनने वाले पहले भारतीय।
• डेब्यू में ही टेस्ट शतक बनाने वाले 12 वे भारतीय।
• टी20 और एकदिवसीय दोनों वर्ल्ड कप में शतक मारने वाले पहले भारतीय।
• टी20 करियर में 6000 या उससे भी ज्यादा रन बनाने वाले पहले भारतीय खिलाडी।

डोमेस्टिक स्तर पर –

  • आईपीएल में 3000 रन बनाने वाले पहले खिलाडी।
  • आईपीएल में सर्वाधिक कैच पकड़ने का रिकॉर्ड, उन्होंने कुल 52 कैच पकडे है।
  • आईपीएल में 100 या उससे ज्यादा छक्के मारने वाले पहले भारतीय और विश्व के दुसरे बल्लेबाज।
  • 7 आईपीएल सीजन में 4000 या उससे भी ज्यादा रन बनाने वाले पहले और एकमात्र बल्लेबाज।
  • आईपीएल, CLT20 और टी20 तीनो में शतक ठोकने वाले पहले और एकमात्र भारतीय बल्लेबाज।
  • आईपीएल के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक स्ट्राइक रेट का रिकॉर्ड उनके नाम है।
  • 4 अक्टूबर 2014 को वे CLT20 में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाडी बने।
  • अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के उन्होंने सभी मैच खेले है।

Follow Us
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
%d bloggers like this: