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National Handloom Day 2020: आत्मनिर्भर भारत के सपने को अपने हाथों से बुनेगा भारत का हथकरघा उद्योग

भारत में बनाए गए हैंडलूम (हथकरघा) देश दुनिया में फेमस हैं। कपड़ों पर कारीगरी का काम महिला व पुरुष सैकड़ों सालों से करते चले आए हैं। उनके कारीगरी की सराहना करते लोग थकते नहीं हैं, क्योंकि  ये हैंडलूम देश की संस्कृति को भी प्रदर्शित करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में  7 अगस्त के इस अहम दिन को  “नेशनल हैंडलूम डे” घोषित किया था। यह दिन न केवल कारीगरों की कला और उनकी मेहनत को दर्शाता है बल्कि सैकड़ों वर्षों का गौरवशाली इतिहास भी इसमें समाहित है, इसके साथ ही वोकल फॉर लोकर के लिए भी इस दिन को अहम माना गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार मन की बात में हैंडलूम डे का जिक्र भी किया है। साथ ही कई बार जिक्र में #VocalForLocal #Vocal4Handmade और भारतीय हस्तनिर्मित उत्पादों की विविधता का प्रचार करके हमें देश के मेहनतकश कारीगरों को उनकी कारीगरी का लाभ भी देना चाहिए की बात कही है।

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आत्मनिर्भर भारत बनने में करेगा मदद 

इस साल छठी बार 7 अगस्त को   “नेशनल हैंडलूम डे” मनाया जा रहा है। खासबात यह है कि इस साल यह वोकल फॉर लोकल के साथ-साथ आत्म निर्भर भारत को बनने में मजबूती देगा।

 

आई वियर हैंडलूम का चलाया अभियान

भारत के हैंडलूम कारीगरों के सम्मान और प्रोत्साहन के लिए केंद्रीय कपड़ा मंत्री भी सामने आईं हैं। स्मृति ईरानी ने हथकरघा (हैंडलूम) पर बने परिधानों को लोकप्रिय बनाने और  बुनकर समुदाय की मदद के लिए “आई वियर हैंडलूम” अभियान की शुरुआत भी की। अच्छी बात यह है कि कई बड़ी हस्तियां समर्थन में सामने दिखाई दिए। इसके साथ ही कई लोगों ने “आई वियर हैंडलूम” हैशटैग के साथ कपड़ों की फोटो भी पोस्ट की है।

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ई- मार्केटिंग की मिली सुविधा

बता दें कि साल 2018-19 में टर्नओवर 48 लाख रहा था। जबकि 2019-20 कोरोना संक्रमण के चलते यह काफी कम रहा। स्मृति ईरानी ने बुनकरों का सहयोग और उत्पादों को अपनाने के लिए लोगों से अपील भी की है। इस लॉकडाउन में बुनकरों (कारीगरों) की आर्थिक स्थिति चरमरा गई थी। बाजार पूरी तरह बंद था, इस स्थिति में बुनकरों (कारीगरों) के पास ऑर्डर भी नहीं आ रहे थे, इस वजह से बुनकरों की स्थिति में सुधार के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन भी चलाया है। साथ ही कपड़ा मंत्रालय ने बुनकरों को ई- मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध करवाने पर भी जोर दिया है।

 

6 ब्लाक, 28 वीवर्स सेंटर खोले गए

केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के बुनकरों के लिए 6 ब्लाक में हैंडलूम  सुविधा केंद्र भी खोले हैं, जिसमें निफ्ट ने पाठ्यक्रम भी चलता है। खासबात यह है कि बुनकरों की सुविधा और उत्थान के लिए पीएनबी बैंक ने लोन की सुविधा भी की है, साथ ही 28 वीवर्स सेंटर पर कलेक्शन सेंटर भी खोले गए हैं। जहां बिचौलियों का नामों निशान नहीं है बल्कि मेहनत का पैसा सीधा बुनकरों के खाते में जाता है।

 

मिला बुनकरों को सम्मान

बुनकरों के सम्मान के लिए उन्हें संत कबीर और राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार भी दिए गए हैं। देश के 20 बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जा चुका है। इसमें राजस्थान, हिमाचल प्रदेश पश्चिम बंगाल, मणिपुर, उड़ीसा, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु व तेलंगाना के बुनकर शामिल हैं।

लॉन्च के वीवर्स एप

बुनकर तमाम डिज़ाइन बनाते रहते हैं लेकिन सभी रिपीट होने के कारण एक नया ट्रेंड नहीं बन पाते यह एक बड़ा कारण था, जिस वजह से यह डिज़ाइन लोगों को आकर्षित नहीं करती थीं। बुरे हाल से जूझ रहे कारीगरों को अपडेट रखने के लिए एक मोबाइल एप बनाया गया है। 25 मई 2018 को इस एप की लॉन्चिंग हुई थी। इस एप में बुनकरों के लिए ट्रेंडी डिज़ाइन और अच्छा बाजार मुहैया करवाया जाता है।

 

वीवर्स मुद्रा स्कीम 

सार्वजनिक क्षेत्र में पंजाब नेशनल बैंक ने बुनकरों के लिए नकद कर्ज या लोन की सुविधा भी की है। पीएनबी मुद्रा योजना के तहत बैंक ने एक क्रेडिट कार्ड भी घोषित किया है। इसमें कपड़ा मंत्रालय की योजना के तहत बुनकरों को 2 लाख रुपए बतौर लोन दिए जाएंगे।

1905 में शुरू हुआ था स्वदेशी आंदोलन

जिस तरह  युद्धों के लिए अस्त्र-शस्त्र की जरूर होती है वैसे ही  लॉकडाउन में हुई आर्थिकमंदी से उभारने में यह अस्त्र साबित हो सकते हैं। 7 अगस्त हैंडलूम डे का अपना एक इतिहास है, एक महत्व है। उल्लेखनीय है कि घरेलू उत्पादों और उत्पादन इकाइयों को नया जीवन प्रदान करने के लिए 7 अगस्त 1905 में स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ था।  और स्वदेशों आंदोलन की याद में ही 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाने का निर्णय कर लिया था। प्रधानमंत्री ने साल 2015 में इस दिन की शुरुआत कर दी थी।

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