Chhattisgarh

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का 84 वर्ष में निधन, रह गया ये सपना अधूरा

pranav mukharjee formar president passes away


पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का सोमवार को 84 वर्ष में निधन हो गया है। 10 अगस्त से वे दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती थे। कुछ दिन पहले ब्रेन से क्लॉटिंग हटाने के लिए सर्जरी की गई थी। साथ ही उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव थी।

 

प्रणब मुखर्जी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य हस्तियों ने दुख जताया है। पीएम मोदी ने उन्हें उत्कृष्ट विद्वान बताते हुए कहा की उनके निधन से पूरा देश दुखी है।

 

कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर

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प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति बनने तक का सफर काफी लंबा था, लेकिन वो तो पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर थे फिर वे राजनीति से कैसे जुड़े ? दरअसल उन्होंने मदिनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाल था। उनकी इस प्रतिभा से खुश होकर उस समय प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। प्रणब मुखर्जी 1969 में राज्यसभा के चुनाव के लिए चुने गए।

 

भारतीय राजनीति में उनका नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। उनके जिंदगी में ऐसी कई मौके आए जब उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला, लेकिन तीन बार वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।

 

प्रणब मुखर्जी कितने काबिल थे इस बात को जानने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को पढ़ते हैं, जब मैं प्रधानमंत्री बना तब प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए ज्यादा काबिल थे,लेकिन मैं कह क्या सकता था ? कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने मुझे चुना था।

 

क्लर्क और लेक्चरर भी रह चुके हैं 

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प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में हुआ। उन्होंने कलकत्ता के विश्विद्यालय से पॉलिटेक्निक साइंस और हिस्ट्री से एमए किया। उनके बाद वे डिप्टी अकाउंट जनरल में क्लर्क थे। कुछ समय बाद वे विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे थे।

 

पिछले साल मिला था भारत रत्न का सम्मान 

प्रणब मुखर्जी को पिछले साल भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया था। बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर लिखा कि पिछले साल 8 अगस्त को भारत रत्न से नवाजा गया था। हमारे लिए सबसे बड़ा खुशी का दिन था वहीं एक साल बाद उसी तारीख में उनकी तबियत गंभीर है।

 

2012 में बने थे राष्ट्रपति 

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साल 2012 में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने थे। वे भारत के 13वे राष्ट्रपति थे, लेकिन कांग्रेस प्रिसिडेंट सोनिया गांधी की पहली पंसद हामिद अंसारी थे, वहीं अन्य राजनीतिक दलों ने प्रणब मुखर्जी को इस पद के लिए उचित समझा।

 

 

अधूरा रह गया यह सपना

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प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार थे। उन्हें “पीएम इन वेटिंग” भी कहा जाता है। उनके जीवन और लिखी गई बुक The Coalition Years 1996 – 2012 में उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।

 

प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे की प्रणब मुखर्जी दूसरा कार्यालय भी संभालें

ऐसे कई मौके आए हैं जब प्रणब मुखर्जी को पीएम मोदी की तारीफ करते देखा गया हैं। उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से बाहर और मोदी को बहुमत से सरकार बनाते देखा है। पीएम मोदी चाहते थे की प्रणब मुखर्जी दूसरा कार्यकाल भी संभालें, लेकिन बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था।

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