Corona virus: लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे अमेरिका और यूरोप
सामाजिक दूरी और एकांत ही कोरोना से बचाव का एक मात्र तरीका
संक्रमितों से खुद को बचाने के लिए घर पर रहना ही बेहतर उपाय
एसआरएमएस मेडिकल कालेज में हुए वेबनार में विशेषज्ञों की चेतावनी
द इंडिया राइज
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। आने वाले समय के लिए यह चिंता का बड़ा विषय है। इस चुनौती से निपटने के लिए पर्याप्त तैयारी तो जरूरी है ही। सभी का सामाजिक दूरी को बनाए रखना और एकांतवासी होना ही एकमात्र उपाय भी है। यह बात एसआरएमएस मेडिकल कालेज में आयोजित वेबिनार में देश के नामी चिकित्सकों और कोरोना विशेषज्ञों ने कही।
एसआरएमएस मेडिकल कालेज के रेस्पेरेटरी एंड क्रिटिकल मेडिसिन विभाग की ओर से कोरोना संक्रमण से लड़ने वाले डाक्टरों, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को जानकारी देने के लिए शनिवार को वेबिनार का आयोजन हुआ। इंटरनेट के जरिये एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आकर अलग-अलग शहरों में उपस्थित कोरोना विशेषज्ञ डाक्टरों ने इस महामारी से संबंधित जानकारी दी। इंडियन सोसायटी आफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) के सहयोग से आयोजित इस वेबनार में रूंगटा हास्पिटल जयपुर के डा.नरेंद्र रूंगटा ने कोरोना की शुरूआत से लेकर अब तक की स्थिति को स्पष्ट किया।
देश में बढ़ती कोविड-19 संक्रमितों की संख्या पर चिंता जताई। कहा कि अब भी स्थिति हमारे नियंत्रण में है। सामाजिक दूरी और एकांत ही इसे रोकने का एकमात्र उपाय और सहारा है। अगर इसका पालन अब भी कर लें, तो बेहतर है अन्यथा भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है। डा.रूंगटा ने अमेरिका और यूरोप के मुल्कों का उदाहरण दिया। कहा कि वहां सामाजिक दूरी को न मानने की वजह से ही हालात आज बदतर हो गए हैं। अभी भारत में ऐसी स्थिति नहीं है। लेकिन जो भी है वह चुनौतीपूर्ण है। जो भविष्य में और भी चुनौती दे सकती है
अगर सामाजिक दूरी के पालन के साथ स्वच्छता संबंधी निर्देशों का पालन नहीं किया गया। डाक्टर होने के नाते हमें भी भविष्य के किसी भी संकट से निपटने के लिए आज ही तैयारियां पूरी करनी होंगी। कल तक काफी देर हो सकती है। हां संक्रमितों की सेवा के साथ डाक्टरों को सुरक्षित भी ज्यादा रहना है। क्योंकि सारे समाज की जिम्मेदारी भी हम पर ही है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कई मिथक अब भी समाज में चल रहे हैं। इनमें बच्चों और वयस्कों के इस महामारी से पीड़ित न होने की भी अफवाह एक है। इसे बिल्कुल भी न माने। हां यह सच है कि इस महामारी से बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित हैं लेकिन बच्चे और वयस्क इससे अछूते नहीं। यह संक्रमण उनकी भी जान ले रहा है। ऐसे में बचाव जरूर करें। कोई भी मास्क लगाना पर्याप्त है। दो-दो घंटे में साबुन से हाथ धोना या सेनिटाइज करना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि विश्व में यह महामारी पर्यटकों के जरिये ही फैली है। हवा में फैलने का अभी तक कोई प्रमाण नहीं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को मानना जरूरी है। डा.रूंगटा ने संभावित कोरोना पाजिटिव मरीजों का सैंपल लेने की तकनीकि और इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों की भी चर्चा की। साथ ही टेली आईसीयू और टेलीमेडिसिन का भी जिक्र किया। कहा कि हमारे देश में न पर्याप्त डाक्टर हैं और न ही नर्स या पैरामेडिकल स्टाफ। यह रातों रात बनाए भी नहीं जा सकते। ऐसे में टेली आईसीयू और टेलीमेडिसिन कोरोना पीड़ितों के इलाज में काफी कारगर तकनीकी हो सकती है। अब यह जरूरी भी है और आसान भी।
अपोलो हास्पिटल भुवनेश्वर के डा.बानांबर रे ने भी कोराना के इलाज संबंधी जानकारियां दीं। दोनों चिकित्सकों ने सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाते हुए मेडिकल कालेज के आडिटोरियम में उपस्थित डाक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के सवालों के जवाब भी दिए। कार्यक्रम का संचालन एसआरएमएस मेडिकल कालेज के रेस्पेरेटरी एंड क्रिटिकल मेडिसिन विभाग के एचओडी डा.ललित सिंह ने किया। सोशल मीडिया एप के जरिये वेबनार में इंडियन सोसायटी आफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन बरेली चैप्टर के अध्यक्ष डा.विमल भारद्वाज और डा.सोमेश मेहरोत्रा ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डा.एसबी गुप्ता, डा.आरपी सिंह, डा.जेके गोयल, डा. अशोक गुप्ता, डा.राहुल गोयल, डा.पीएल प्रसाद, डा.एमपी रावल, डा.अतुल सिंह, डा.बिंदू गर्ग, डा.मृत्युंजय कुमार, डा.निपुन अग्रवाल भी मौजूद रहे।