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corona virus: कोरोना से डरे नहीं, सावधानी ही है बचाव, टीका बनने में अभी लगेंगे दो साल

corona virus: देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के बढ़ते मामले के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार (12 मार्च) को लोगों से नहीं घबराने की अपील की और कहा कि उसका ध्यान इसकी रोकथाम और नियंत्रण पर है। देशभर में कोविड-19 की जांच की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है। मंत्रालय ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसका किसी भी सामुदायिक स्तर पर फैलने का कोई उदाहरण नहीं मिला है, इसका फैलाव केवल स्थानीय स्तर पर है; इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस को महामारी घोषित किए जाने के मद्देनजर, मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वायरस को अलग करना मुश्किल है; टीके को विकसित करने में कम से कम डेढ़ से दो साल लगेंगे। मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है। हमारा ध्यान इसकी रोकथाम पर केंद्रित है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित 73 लोगों के संपर्क में आने वाले 1500 से अधिक लोगों को निगरानी में रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि भारत में नामित 30 हवाई अड्डों पर अब तक 10.5 लाख लोगों की जांच की जा चुकी है।

जब उनसे पूछ गया कि क्या उच्च तापमान से कोरोना वायरस खत्म हो सकता है, तो इसपर अधिकारियों ने कहा कि यद्यपि फ्लू गर्मियों में सामान्य बात नहीं है, लेकिन इसको लेकर कोई अध्ययन या सबूत नहीं है कि उच्च तापमान कोरोना वायरस को खत्म करने में मददगार हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आईसीएमआर यह जांचने के लिए निगरानी शुरू करेगा कि क्या कोई संक्रमित व्यक्ति बिना जांच के तो नहीं रह गया है।

 टीका विकसित करने में डेढ़-दो साल का समय लगेगा
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि भारत को कोरोना वायरस का टीका विकसित करने में डेढ़ से दो साल का समय लगेगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी एवं संचारी रोग-I (ईसीडी-I) प्रभाग के प्रमुख रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) वायरस को पृथक करने में सफल हुआ है।  उन्होंने कहा, ”टीका बनाने के दो रास्ते हैं। पहला, या तो आप वायरस की आनुवांशिकी संरचना का पता लगाएं और उसके आधार पर रोग प्रतिकारक विकसित किया जाए या दूसरा वायरस को अलग कर उसके खिलाफ टीका विकसित करने का प्रयास किया जाए जो हमेशा आसान विकल्प होता है।”

गंगाखेड़कर ने कहा, ”कोरोना वायरस को पृथक करना मुश्किल है, लेकिन एनआईवी पुणे के वैज्ञानिकों की कोशिश सफल रही है और कोरोना वायरस के 11 नमूने अलग किए गए हैं जो किसी भी शोध की प्राथमिक जरूरत होती है। हालांकि, टीका विकसित करने,उसके प्रायोगिक परीक्षण करने और मंजूरी देने में भी डेढ़ से दो साल का समय लगेगा।” उन्होंने कहा कि ऐसे कई वायरस हैं जिनसे संक्रमण होने पर जब टीका दिया जाता तब संक्रमण की गंभीरता और बढ़ सकती है। गंगाखेड़कर ने कहा, ”दोनों तरफ से देखें तो इसमें समय लगेगा क्योंकि हमें संभावित खतरे पर भी विचार करना होगा। वास्तविकता है कि वायरस यहां पर है। पहले हमें यथासंभव इसे रोकने की कोशिश करनी चाहिए और इंतजार करना चाहिए।
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 ईरान में 6000 भारतीय फंसे
वहीं दूसरी ओर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि ईरान में 6000 भारतीय फंसे हैं, जिनमें महाराष्ट्र के 1100 तीर्थयात्री और जम्मू कश्मीर के 300 छात्र शामिल हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रारंभिक जोर तीर्थयात्रियों को वापस लाने का है जिनमें अधिकतर ईरान के कोम में फंसे हैं।  उन्होंने कहा कि ईरान में फंसे भारतीयों में से 529 के नमूनों में 229 जांच में नकारात्मक पाए गए हैं। जयशंकर ने बताया कि ईरान में 1000 भारतीय मछुआरे फंसे हुए हैं और इनमें से कोई भी कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं है। उन्होंने कहा कि ईरान में व्यवस्था गंभीर दबाव में है और इसलिए हमें वहां मेडिकल टीम भेजनी पड़ी और बाद में क्लीनिक स्थापित करना पड़ा।

विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान से 58 लोगों को लाया गया है और जल्द ही 200 अन्य लोगों को वापस लाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि दुनिया के करीब 90 देशों में कोरोना वायरस फैलने की खबर आई है और सरकार प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है।  जयशंकर ने कहा कि एक मंत्रिसमूह सतत रूप से देश में वैश्विक कोरोना वायरस की स्थिति पर निगरानी रख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समय-समय पर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा सरकार ने कुछ मामलों में ई-वीजा एवं आगमन पर वीजा आदि को स्थगित करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 15 फरवरी के बाद चीन, इटली, ईरान, कोरिया, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी की यात्रा करने वाले भारतीय नागरिकों को 14 दिनों की न्यूनतम अवधि तक अलग रखा जाएगा।

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